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जिन अधिकारी कर्मचारियों ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिताया वहीअब भाजपा सरकार के खिलाफ होने लगे लामबंद


महंगाई भत्ता सहित 4 सूत्रीय मांग को लेकर छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन का जिला स्तरपर 23 फरवरी को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन



छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन धरना प्रदर्शन एवं रैली निकालकर कलेक्टर को सौंपेगा ज्ञापन



वर्ष 2023 में जिन अधिकारी कर्मचारीयों ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिता कर कर उनकी सरकार बनाई वही अधिकारी कर्मचारी अब भाजपा सरकार के खिलाफ लाम बंद होकर आंदोलन पर उतारू है।जिले के अधिकारी कर्मचारी आगामी 23 फरवरी को छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर धरना प्रदर्शन एवं रैली निकालकर महंगाई भत्ता सहित चार सूत्रीय मांग को लेकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे।

इस संबंध में छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के जिला संयोजक एवं अध्यक्ष डॉ संजय शर्मा, महासचिव विश्वास गोवर्धन एवं आकाश राय ने बताया कि फेडरेशन के प्रांतीय आह्वान पर 46% महंगाई भत्ता सहित चार सूत्रीय मांग को लेकर यह धरना प्रदर्शन एवं रैली का आयोजन जिला स्तर पर तथा ब्लॉक स्तर पर आयोजित किया जाएगा एवं रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सोपा जाएगा। फेडरेशन की मांग की जिस तरह अपने कर्मचारियों को केंद्र 46प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रही है उसी तरह राज्य सरकार भी राज्य के सभी अधिकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता प्रदान करे। इसके अलावा दूसरी मांग यह है कि भाजपा सरकार अपने वादे के मुताबिक वर्ष 2016 से राज्य के अधिकारी कर्मचारियों को जो भी महंगाई भत्ता स्वीकृत हुआ है इसकी गणना देय तिथि से कर करके एरियर की राशि का समायोजन जीएफ में करें। फेडरेशन के पदाधिकारी ने बताया कि तीसरी मांग यह है कि राज्य के अधिकारी कर्मचारी की वेतन विसंगति सहित अन्य मुद्दों को लेकर जो पिगुआ कमेटी बनी थी उसे कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए तथा चौथी मांग लिया है कि राज्य के अधिकारी कर्मचारियों को लागू सातवीं वेतनमान के एरियर की पांचवीं तथा अंतिम किस्त छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों को भुगतान किया जाए। इन्हीं चार मुद्दों को लेकर 23 फरवरी को छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन राज्य स्तर पर आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन तथा रैली निकालकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने जा रहे हैं। आंदोलन धरना प्रदर्शन एवं रैली के लिए अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के लोगों के साथ चर्चा कर रहे हैं ताकि आंदोलन को सफल बनाया जा सके।
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छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद कर्मचारियों अधिकारियों से किए गए वादे नहीं हुए पूरे



प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के 2 महीने बाद ही अधिकारी कर्मचारियों को पकड़ना पड़ रहा आंदोलन की राह


छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के मीडिया प्रभारी अक्षय नामदेव ने बताया कि वर्ष 2023 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ में चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश के कर्मचारियों के लिए बहुत से वादे किए थे परंतु छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद उन वादों को पूरा नहीं किया गया। जहां एक और छत्तीसगढ़ में इस समय बजट सत्र चल रहा है तथा अलग-अलग वर्गों के लिए बजट में प्रावधान रखा गया है परंतु छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी अपने आप को ठगे से महसूस कर रहे हैं तथा निराशा है शायद यही कारण है कि सरकार बनने के 2 महीने बाद ही छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों को आंदोलन की राह पकड़ना पड़ रहा है ताकि उनकी मांगे पूरी हो सके। भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जो प्रमुख वादे किए थे उनमें से प्रमुख सरकार बनने पर प्रदेश के शासकीय सेवकों एवं पेंशनरों को केंद्र के समान डीए दिया जायेगा।लंबित डीए एरियर्स की राशि को कर्मचारियों के जीपीएफ खाते में समायोजित किया जाएगा।प्रदेश के शासकीय सेवकों की गोपनीय प्रतिवेदन ऑनलाइन किया जाएगा। ताकि पदोन्नति / समयमान / क्रमोन्नति का लाभ समय पर मिल सके।अनियमित / संविदा / दैनिक वेतनभोगी / अतिथि शिक्षक इत्यादि संवर्ग के नियमितीकरण हेतु 100 दिन के अंदर कमेटी का गठन किया जाएगा।प्रदेश के सहायक शिक्षकों की बेतन विसंगति दूर की जाएगी।
प्रदेश के पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाएगा।मितानिनों को केंद्र सरकार के अंतर्गत स्थायी करने हेतु प्रयास करेंगे।
छत्तीसगढ़ में सभी तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पुलिस कर्मचारियों के आवास हेतु पुलिस कल्याण कोष को सशक्त करेगी।मितानिन कर्मचारियों की मासिक मानदेय राशि में 50 प्रतिशत वृद्धि करेंगे।शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत रसोईया एवं सफाई कर्मी के वेतन में 50 प्रतिशत की वृद्धि करेंगे। इन प्रमुख वादों को जारी करने वाले भारतीय जनता पार्टी के
विजय बघेल (सांसद), संयोजक – विधानसभा चुनाव 2023 घोषणा पत्र समिति (भाजपा) थे थे परंतु छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों का दुर्भाग्य है कि उन्हें इन वादों को याद दिलाने के लिए सरकार बनने के 2 महीने के भीतर ही आंदोलन की राह में उतरना पड़ रहा है।

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