रायगढ़

रायगढ़ RTO में सनसनीखेज फर्जीवाड़ा: उड़ीसा के लोगों का अब छत्तीसगढ़ में भी बन रहा ड्राइविंग लाइसेंस?

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उड़ीसा के लोगों का अब छत्तीसगढ़ में भी बन रहा ड्राइविंग लाइसेंस?

रायगढ़@टक्कर न्यूज :- छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के RTO विभाग में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था की नींव हिला दी है। खुलासा हुआ है कि उड़ीसा के निवासियों का रायगढ़ RTO में ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा रहा हैं। इस फर्जीवाड़ा ने न केवल RTO की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही की गहरी साजिश की ओर भी इशारा किया है।

सूत्रों के अनुसार, लंबे समय से उड़ीसा के लोग रायगढ़ RTO में ड्राइविंग लाइसेंस बनवा रहे हैं, लेकिन जब हमारी टीम ने इस मामले की गहन पड़ताल की, तो सनसनीखेज तथ्य सामने आए। एक आवेदक, किरण, जो खुद को उड़ीसा का निवासी बताता है, ने खुलासा किया कि वह रायगढ़ में न तो रहता है, न ही यहां कोई नौकरी या काम करता है। किरण के मुताबिक, उसके परिजन रायगढ़ शहर से कुछ किलोमीटर दूर एक गांव में रहते हैं, लेकिन लाइसेंस में दर्ज अस्थायी पते पर न तो उसका कोई पारिवारिक सदस्य रहता है और न ही वह उस कॉलोनी के किसी व्यक्ति को जानता है। किरण का यह बयान कि “मैं रायगढ़ में रहता ही नहीं” इस घोटाले की गंभीरता को और उजागर करता है।

जांच में यह भी पता चला कि लाइसेंस में दर्ज पते पूरी तरह फर्जी हैं। सवाल उठता है कि बिना किसी सत्यापन के ऐसे लाइसेंस कैसे जारी हो रहे हैं? यह मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार यह एक संगठित रैकेट का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसमें बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी की जा रही है। इस फर्जीवाड़े ने न केवल RTO की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि सड़क सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे को भी खतरे में डाल दिया है।

हमारी टीम ने इस मामले में RTO अधिकारी अमित कश्यप से जवाब लेने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों की चुप्पी ने संदेह को और गहरा कर दिया। बार-बार संपर्क करने के बावजूद न तो उन्होंने कॉल उठाया, ना ही उनका कॉल बैंक आया। यही नहीं उन्होंने किसी प्रकार से कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया। उनकी चुप्पी इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं न कहीं इस घोटाले में बड़े अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।

स्थानीय लोगों में इस खुलासे को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। नागरिकों का कहना है कि इस तरह की धांधली न केवल कानून का मखौल उड़ाती है, बल्कि फर्जी लाइसेंस के जरिए अयोग्य चालकों को सड़कों पर वाहन चलाने की अनुमति देना हादसों को न्योता देना है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।

यह घोटाला रायगढ़ RTO में लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। सूत्रों का दावा है कि यह सिलसिला केवल कुछ मामलों तक सीमित नहीं, बल्कि एक बड़े नेटवर्क के तहत संचालित हो रहा है। इसने जिला प्रशासन और RTO की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जनता अब यह जानना चाहती है कि इस घोटाले के पीछे के असली चेहरों को कब और कैसे बेनकाब किया जाएगा। क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा, या यह भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा? स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस फर्जीवाड़े की तह तक जाकर दोषियों को सजा दी जाए और भविष्य में ऐसी धांधली को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।

रायगढ़ RTO का यह घोटाला एक उदाहरण है कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी कितने खतरनाक परिणाम ला सकती है। अब गेंद प्रशासन के पाले में है कि वह इस मामले में कितनी तेजी और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है।

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