भालू के काटने से फिर एक मृत्यु शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मरवाही को खुद इलाज की आवश्यकता
ग्राम लिटियासरई लटकोनी के बाबूलाल पिता सहदेव उम्र 55 वर्ष भालू के काटने से मृत्यु
रेंजर आदतन मरवाही वनमंडल से पहुँच से दूर
वनविभाग के बीटगार्डो ने 25000 रुपये मृतक के परिजनों को दिया।
मृतक के परिजनों का आरोप डॉक्टर के जगह ई एन टी एव नर्स द्वारा इलाज किया गया डॉक्टर रात में उपस्थित नही रहे।
स्वास्थ्य मंत्री जिले के प्रभारी मंत्री फिर भी चिकित्सा व्यवस्था लचर
जिला अस्पताल खुद बना रेफरल सेंटर तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्तिथि का क्या ही कहना।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरवाही में 3 3 दिनों के लिए आईपीडी एवँ ओपीडी में डॉक्टरों ने अपनी व्यवस्था बनाई है।3 दिनों तक सिर्फ 1 ही डॉक्टर रहते हैं।
भले ही जिले के नाम गौरेला पेंड्रा मरवाही में मरवाही नाम जोड़ा गया था लेकिन आज पर्यंत तक मरवाही उपेक्षित है।शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरवाही की हालत खस्ताहाल है न डॉक्टर है,न स्टाफ है और न चुस्त दुरुस्त व्यवस्थाएँ। आदिवासी बहुल क्षेत्र,तथा वनांचल में गरीबो के इलाज के लिए स्वास्थ व्यवस्था सही नही है।डॉक्टरों की भारी कमी देखने को मिल रही है, जो डॉक्टर हैं वो हफ्ते में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा किस कदर बदहाल है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि लोगों को छोटी-छोटी परेशानियों , स्वास्थ्य समस्याओं जैसे उल्टी दस्त, बुखार, पेट दर्द इत्यादि के लिए जिला अस्पताल भेजा जाता है या फिर लोग परेशान होकर प्राइवेट अस्पताल की ओर प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करने के लिए मजबूर हो जाते हैं, व्यवस्था का आलम यह है कि इस आदिवासी अंचल के लगभग 3 लाख की जनसंख्या वाले क्षेत्र के एकमात्र सरकारी अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है, प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है, अप्रशिक्षित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के माध्यम से तमाम तरह की स्वास्थ्य से संबंधित कार्य कराए जाते हैं उन्हीं के भरोसे अस्पताल के सारे रखरखाव, स्वच्छता मरीजों की देखभाल से संबंधित कार्य संपादित कराए जाते हैं। वनांचल क्षेत्र का गरीबों की लाइफ लाइन मरवाही अस्पताल आज भी अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है यहां ना तो प्रशिक्षित स्टाफ है ना ड्रेसर है ना ओटी टेक्नीशियन है। जिले के सबसे दूरस्थ ब्लॉक होने के साथ-साथ मरवाही विधानसभा के इकलौते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दुर्दशा किसी से छुपा नहीं है सैकड़ो हजारों गर्भवती महिलाओं नवजात शिशु छोटे बच्चों इत्यादि के लिए एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ और ना ही शिशु रोग विशेषज्ञ यहां मौजूद है। गर्भवती महिलाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार द्वारा उनकी बेहतर स्वास्थ्य और सेहत के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से योजना बनाकर उनकी बेहतरी के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च जाते हैं परंतु उनको स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ हो पता है या नहीं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य परीक्षण,जांच, देखभाल इत्यादि कार्य सिर्फ एक ग्रामीण चिकित्सा सहायक के भरोसे चल रहा है। गर्भवती महिलाओं को जांच, प्रसव, इत्यादि परेशानियों को ध्यान में रखते हुए शासन प्रशासन स्तर पर उनके आवागमन इत्यादि की परेशानियों को देखते हुए ब्लॉक में तीन तीन 102एंबुलेंस की व्यवस्थाएं की गई है परंतु आज भी क्षेत्र केलोगों को रात्रि में खुशनसीबी से ही यह सेवाएं उपलब्ध हो पाती हैं इनके लिए भी क्षेत्र के लोगों को महिलाओं को काफी जद्दोजहद करना पड़ता है। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सबसे अहम चीज है, स्वच्छता वह खुशनसीबी से भी, आपको यहां पर देखने को नहीं मिलेगी, चाहे बात हो अस्पताल परिसर की, चाहे बात हो वार्डों की,चाहे बात हो और ओटी कक्ष की ,या फिर मरीज उनके परिजनों द्वारा उपयोग की जाने वाली शौचालयो की, स्वच्छता दूर-दूर कहीं नजर नहीं आता।
कुल मिलाकर यदि मरवाही सामुदायिक अस्पताल को अव्यवस्थाओं का अस्पताल कहे तो ज्यादा उचित होगा लाखों करोड़ों रुपए स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर पानी की तरह बाहर जाने के बाद भी क्षेत्र के लोगों को उनकी मूलभूत छोटी-छोटी स्वस्थ समस्याओं के लिए भी रोजाना बड़ी मुश्किलातो सामना करना पड़ता है। क्षेत्र के लोगों को छोटी-छोटी स्वास्थ्यगत समस्याओं के लिए भी आप रोजाना उक्त स्थल पर भारी जद्दोजहद करते हुए देख सकते हैं।
डॉक्टर हर्षवर्धन बी एम ओ
मरीज डॉक्टर के निगरानी में था, मरीज को रात्रि में अचानक हार्ट अटैक हुआ है जिससे उसकी मृत्यु हुई है।
आयुश कुमार मिश्रा
भाजपा नेता एवँ जनपद सदस्य मरवाही
दुखद परिस्थिति है परिवार के लिए।हॉस्पिटल के संबंध में जो आरोप लगाया जा रहा है उसपर संज्ञान लेते हुए माननीय मंत्री जी को अवगत कराएंगे कहीं कोई बात है तो उसे तत्काल ठीक किया जाएगा।
शुभम पेन्द्रों
Nsui नेता एवं जिला पंचायत सदस्य
मरवाही शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बदनाम है अपने अव्यवस्था को लेकर मैं रात्रि में मरीज से बात कर के गया था लेकिन सुबह परिजनों से बात करने पर सूचना लगी कि मरीज की मृत्यु होगई है और परिवार जनों ने बताया कि डॉक्टर नही आये थे एम्बुलेंस वाले डॉक्टर ने इलाज किया है।दुःखद परिस्थिति है शासन प्रशासन को ध्यान देना होगा।अनुसूचित क्षेत्र में ये एक मात्र हॉस्पिटल है जिसे खुद इलाज की जरूरत है।