
क्या राजनीतिक दबाव छूट भैया नेताओं की जो नहीं हो रही कार्यवाही?
रायगढ़@टक्कर न्यूज :- जिले में अवैध रेत तस्करी का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। खनिज विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद रेत माफिया बेखौफ होकर प्राकृतिक संसाधनों की लूट मचा रहे हैं। छाल और जोबी थाना क्षेत्र में विभाग की छापेमारी से तस्करों में हड़कंप तो मचा है, लेकिन बड़े माफियाओं पर नकेल कसने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। रेत घाटों से लेकर प्लांटों तक आपूर्ति रुकने से तस्कर बौखलाए हुए हैं, मगर बल की कमी और तस्करों की चालबाजी के चलते कार्रवाई अधूरी रह जा रही है।
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार खनिज विभाग की टीम रायगढ़ से घाटों पर कार्रवाई के लिए पहुंचती है, लेकिन कुछ पुलिस सहायता के अभाव में ट्रैक्टर और वाहन चालक मौके से फरार हो जाते हैं। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया कि जैसे ही विभाग पुलिस से संपर्क करता है, तस्करों को खबर मिल जाती है और वे नदी किनारे से वाहन लेकर भाग निकलते हैं। हाल ही में जोबी चौकी क्षेत्र में 9 ट्रैक्टरों पर अवैध रेत परिवहन के खिलाफ कार्रवाई हुई, बरहाल आखिर विभाग रेत को क्यों जप्त नहीं किया गया, क्या घाट पर इन्हें संरक्षण देने वालों पर आखिर क्यों कार्यवाही नहीं हुई? बरहाल बंगरसूता घाट से 4 ट्रैक्टर पकड़े गए। इन वाहनों को छाल थाने भेजा गया, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सवाल उठता है कि क्या ये वाहन सिर्फ जुर्माने की रसीद कटवाकर छोड़ दिए जाएंगे या खनिज विभाग इनके खिलाफ कड़ा कदम उठाएगा?
स्थानीय सूत्रों ने सनसनीखेज खुलासा किया कि घाटों पर अवैध रेत परिवहन के लिए प्रति ट्रैक्टर 100 रुपये की उगाही हो रही है, जो नकद और QR कोड के जरिए वसूली जा रही है। इस संगठित लूट में शामिल लोगों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। नाम न बताने की शर्त पर स्थानीय ग्रामीणों ने मांग की है कि इस माफिया तंत्र को जड़ से उखाड़ने के लिए एक विशेष जांच टीम गठित की जाए, जो न केवल तस्करों, बल्कि अवैध उगाही करने वालों के बैंक खातों की भी जांच करे।
रेत तस्करी का यह काला धंधा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि सरकारी खजाने को भी भारी चपत लगा रहा है। खनिज विभाग और पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति है या माफियाओं पर लगाम कसी जाएगी?
रायगढ़ में रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। प्रशासन को तत्काल सख्त कदम उठाकर इस अवैध कारोबार पर रोक लगानी होगी, वरना प्राकृतिक संसाधनों की लूट और पर्यावरण का विनाश अनियंत्रित होता रहेगा।