राहुल वाकई गधा है या पप्पू है
होना भी चाहिए आज के अंधे राष्ट्रवाद में जिसने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की।। इसके बाद जो सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम. फिल. की उपाधि प्राप्त की,जो जूडो जैसे खेल में ब्लैक बेल्ट हो जो क्रिकेट,फुटबाल,स्कूबा डाइविंग साइकिलिंग,
कुश्ती में महारत रखता हो जिसने हाल ही में 5 हजार km लगातार पैदल चलकर पूरे देश को अपने पैरों से नापा हो,,जो सेठ साहूकारों की जगह मजदूरों,किसानों अल्प संख्यकों और वंचितो की बात करता हो,,जिसने देश के बहादुर जवानों के पेंशन छीनने का पाप नही किया हो,,,जो 4साल वाली ठेका सैन्य व्यवस्था(अग्निवीर)का प्रबल विरोध हो,,,जो सुरक्षा घेरा तोड़कर देशवासियों से मिलने में परहेज नहीं करता हो,,,उसे आज के दौर में गधा ही कहा जाना चहिए।।
और जो अपनी मां के गहने चुराकर छोटी उम्र में घर छोड़कर भाग गया हो,,,जिसने स्टेशन बनाने के पहले ही केतली लेकर चाय बेची हो,,,जो आठवी भी पास है कि नही इसकी भी गारंटी नहीं है,,,जिसने बादलों में लड़ाकू विमान छुपा लिए हों,,,जिसने नाली के गैस से चाय बनाने की शिक्षा इंजीनियरों को दी हो
जो अपनी उम्र से ज्यादा एक दिन में झूठ बोल लेता हो।। जिसने कोरोना की वैक्सीन लगाने के पहले जनता को अपमानित किया हो,,,जिसने अपनी जिद के लिए चारो जीवित शंकराचार्यों का अपमान किया हो,,,जो जानलेवा नकली वेक्सिन बनाने वाली कंपनी से करोड़ों रुपयों का चन्दा खाया हो
पुलवामा और गलवान ने शहीद जवानों के नाम पर खुलेआम वोट मांगा हो,,जो दिन में 12 बार कपड़े बदलने और फोटो खिंचवाने का शौक रखता हों,जो जलता सुलगता मणिपुर छोड़ कर मोर से खेल कर मन बहला लेता हो उसे सदी का सबसे बड़ा देशभक्त, या राष्ट्रीय संत या फिर परमाणु वैज्ञानिक या फिर नोबल विजेता अर्थशास्त्री कहना चाहिए।।
क्योंकि आप जैसी सोच के लोगों के लिए आबादी की 80 करोड़ जनता जो 5 kg सरकारी अनाज की मोहताज हो उसमे विकसित भारत दिखता हो,,वहां राहुल गांधी या हम जैसे लोग पप्पू,गधे,,देश द्रोही अरबन नक्सली ही नजर आएंगे।।
खैर मैं और मेरे जैसे कुछ लोग बकौल गप्पु के अपने पप्पू में उज्जवल भारत के भविष्य की संभावनाएं देखने वाले अंधे भारतीय नागरिक हैं। आप शौक से हमें अंधभक्त या चमचा कह सकते हैं।। यकीन मानिए इस बार भी हम कतई बुरा नही मानेंगे।
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