रायगढ़ विधानसभा में चुनावी चर्चा पर आधारित समीक्षा रिपोर्ट.. थका और टूटा हुआ निर्दलीय प्रत्यासी है शंकर लाल.. 400 में ग्रामीणों को खरीद कर निकली रैली..
प्रत्याशी शंकर लाल डाल रहा है गोपिका व अन्य के हक में डाका…
सूत्र
शंकर लाल करोड़ रु खर्च कर के भी पांच हजार का आंकड़ा पार नही कर पाएगा.. जानकार
रायगढ़.. विधानसभा रायगढ़ में चुनावी खुमार अपने चरम पर आ चुका है। प्रचार प्रसार के बाकी अंतिम दिनों को ध्यान में रखते हुए विधान सभा के सभी प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
चुनावी जानकारों की मानें तो दोनो राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों का अपना कैडर वोट है इससे आगे का मत अपने पक्ष में करने के लिए वो मेहनत कर रहे है।
असली प्रतिस्पर्धा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के बीच होनी है जो एक_एक वोट को अपने पक्ष में करने के लिए संघर्ष कर रहे है। कुछ लोगों कहना है कि दो बागी निर्दलीय प्रत्याशी गोपिका गुप्ता और शंकर लाल अग्रवाल क्रमश: अपनी पार्टी भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों का ही वोट काटेंगे। हालाकि चुनाव जितना इनके बूते की बात नही है। इन्हें भी अपनी जमीन( हकीकत) का एहसास है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है मारवाड़ी समाज के दिग्गजों ने शंकर लाल के आचरण की वजह से किसी प्रकार का समाजिक सहयोग देने से मना कर दिया है। समाज का बड़ा वर्ग शंकर लाल के जगह आप प्रत्याशी बापोड़िया को ज्यादा तवज्जो दे रहा है। मतलब निर्दलीय शंकर जिस समाज के सहयोग की अपेक्षा से कांग्रेस पार्टी से बगावत की थी आज वही उसके साथ नही खड़ा है।
इधर कुछ अन्य चुनावी जानकारों की मानें तो निर्दलीय प्रत्याशी पार्टी प्रत्याशियों का वोट कम काटेंगे बल्कि एक दूसरे के वोट बैंक में ज्यादा सेंध मारी करेंगे। मसलन कथित रूप से शंकर लाल ग्रामीण इलाको में भजन मंडली,महिला समूह और शराबी कबाबी युवाओं गुट पर काफी पैसा खर्च कर उनका समर्थन पाने का प्रयास कर रहा है। वस्तुत: इनमे में से भजन मंडली और महिला समूह के लोग निर्दलीय गोपिका गुप्ता को ज्यादा वोट करते,यदि वो शंकर लाल के पलड़े में जाते है तो नुकसान गोपिका का ही होना है। हालाकि ग्रामीणों की माने तो इनमे से ज्यादातर लोग शंकर लाल का पैसा और साधन हजम करने के बाद उनकी माने तो निर्दलीय या स्वतंत्र प्रत्याशियों में भाजपा उम्मीदवार ओ पी चौधरी के खिलाफ बागी हुई गोपिका गुप्ता बाकियों की तुलना में ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं। उनका अपना वोट बैंक है,साथ ही ग्रामीण इलाकों में उनकी पकड़ है। आप भाजपा की ऐसी सक्रिय और जमीनी नेता मानी जाती रही है जो अमूमन हर किसी की समस्या में मजबूती से खड़ी होती हैं। वर्तमान में उनकी पकड़ या प्रभाव वाले इलाके में कांग्रेस से बागी शंकर लाल अग्रवाल की सक्रियता काफी बढ़ी है। स्थानीय लोगों की माने तो जिला कांग्रेस में कोषाध्यक्ष रहने के बावजूद वह कभी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के बीच राजनीतिक पहचान बना नही पाएं। इसके बावजूद पैसों के दम पर शंकर लाल ने विधानसभा रायगढ़ से कांग्रेस से टिकट मांगने का काम किया। पार्टी के मापदंडों में खरा नहीं उतरने पर शंकर लाल का नाम सिरे से काट दिया गया था।
इसके साथ बागी बनकर शंकर लाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। अब यही फैसला उसके गले हड्डी बन गया है। उसके आसपास के लोग बताते है कि शंकर लाल अभी से थका और हारा हुआ प्रत्याशी दिखने लगा है। अपने समर्थन में भिड़ इकट्ठा करने के लिए वो 400 से 500 की दिहाड़ी में ग्रामीणों को जमा कर रहा है।
यही वजह है कि चुनाव समीक्षक बताते है कि बिना जनाधार वाला पूर्व कांग्रेसी नेता अगर इस चुनाव में करोड़ रुपए भी खर्च कर लेता है तो भी वह पांच हजार का आंकड़ा नहीं पार कर पाएगा। अभी का माहौल बता रहा है कि निर्दलीय गोपिका और जोगी कांग्रेस की मधु किन्नर सहित आप प्रत्याशी बापोडिया शंकर लाल से अधिक वोट पाएंगे।। अगर अंतिम दिनों तक ऐसा ही माहौल रहा तो शंकर लाल को जमानत बचाने के लाले न पड़ जाए तो भी आश्चर्य नही होगा।
सूत्रों की माने तो निर्दलीय शंकर लाल का चुनावी समीकरण बिगाड़ने में उसके सहयोगी भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। वो शंकर लाल के समर्थन में लोगों को जोड़ना कम और तोड़ने का काम ज्यादा कर रहे है।