दरिया पंथ के संत जगदीश साहेब ने अपने तप बल से गौरेला पेंड्रा मरवाही अंचल को दी नई पहचान
गोंड़ आदिवासी समाज के गौरव हैं संत जगदीश साहेब बाबा
दरिया पंथ के संत जगदीश साहेब की समाधि पूजन एवं भंडारा कार्यक्रम सोन नदी के तट सेखवा पतेराटोला में संपन्न
दरिया पंथ के प्रसिद्ध महात्मा जगदीश साहेब की समाधि पूजन एवं भोग भंडारा कार्यक्रम सोन नदी के किनारे स्थित ग्राम सेखवा के पतेराटोला जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में संपन्न हुआ। संत जगदीश साहेब के समाधिस्थ होने के13वें दिन 5मई रविवार को आयोजित कार्यक्रम में गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले शाहिद बिहार से पहुंचे श्रद्धालुओं ने भाग लिया एवं संत जगदीश साहब को श्रद्धांजलि दी।
संत जगदीश साहेब को श्रद्धांजलि देते हुए श्री आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर पब्लिक ट्रस्ट धनपुर जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के जनसंपर्क अधिकारी अक्षय नामदेव ने कहा कि दरिया पंथ के संत जगदीश साहेब ने अपने तप बल से गौरेला पेंड्रा मरवाही अंचल का नाम रोशन रौशन किया है तथा अध्यात्म के क्षेत्र में एक नई पहचान दी है। उन्होंने बताया किबाल ब्रह्मचारी जगदीश बाबा का जन्म आदिवासी अंचल गौरेला पेंड्रा मरवाही के ग्राम कोलबिरा में गोंड़ आदिवासी किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही वह आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे यही कारण रहा कि वे 15 वर्ष की उम्र में ही मानस तीर्थ सोनकुंड सोनमूंड़ा आश्रम पेंड्रा से जुड़ गए थे। उन्होंने सोन कुंड आश्रम के संस्थापक स्वामी सहज प्रकाशानंद के शिष्य स्वामी निर्मलानंद से गुरु दीक्षा ली तथा सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में जुट गए। इस बीच वे स्वामी सदानंद जी महाराज के सानिध्य में लंबे समय तक रहे। कुछ वर्षों के बाद जगदीश बाबा देशाटन एवं तीर्थाटन के लिए निकल गए तथा भ्रमण करते हुए गोपालगंज बिहार पहुंचे तथा वहां स्थित दरिया आश्रम के संपर्क में आऐ तथा दरिया पंथ की नीति से प्रभावित हुए। वहां रहते हुए उन्होंने दरिया दंगसी आश्रम के महात्मा चंद्र देव साहेब से गुरु दीक्षा लेकर दरिया आश्रम में ही सेवा कार्य में जुट गए जहां उन्होंने लगभग 50 वर्ष तक अपना सेवा कार्य दिया।
दरिया आश्रम में लंबा समय व्यतीत होते-होते जगदीश बाबा को जन्म भूमि वापस बुलाने लगी और वर्ष 2011-12 के आसपास जगदीश बाबा अपनी जन्मभूमि क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही वापस आ गए तथा सकोला -कोटमी स्थित सोन नदी के तट पर स्थित बूढा़ देव मंदिर में स्थित कुटिया में रहकर तप करते हुए अपना समय बिताया।
श्रद्धांजलि सभा को बिहार गोपालगंज दंगसी से आए दरिया पंथ के संत वशिष्ठ दास साध्वी कृष्णावती, श्रद्धांजलि कार्यक्रम के संयोजक अमरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, कृष्ण यादव ने संबोधित कर जगदीश साहब बाबा के त्याग तपस्या उनके विचार पर प्रकाश डाला। आदिवासी नेता पीतांबर सिंह मार्को ने जगदीश साहब बाबा को आदिवासी समाज का गौरव बताया जिन्होंने देश दुनिया को एक नई राह दिखाई जिसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं है आपसी भाईचारा ही सर्वोपरि है। संत वशिष्ठ दास ने कहा कि महंत सत्यदेव दास दंगसी दरिया आश्रम बिहार से दीक्षा प्राप्त जगदीश बाबा के शिष्य खुल्लू बाबा सेखवा पतेरा टोला एवं गद्य अधिकारी होंगे। श्रीवास्तव में कहा कि अब प्रतिवर्ष जगदीश साहेब की पुण्यतिथि पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के पूर्व विधि विधान से ब्रह्मलीन संत जगदीश साहेब बाबा की समाधि पूजन किया गया एवं भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें ग्रामीणों एवं श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। बाबा के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्य रूप से गोपालगंज बिहार से आए संत वशिष्ठ दास, संत खुल्लू बाबा, साध्वी कृष्णावती मोतीलाल यादव रामा अमरेंद्र श्रीवास्तव दुर्गा मंदिर ट्रस्ट धनपुर के वरिष्ठ सदस्य भागवत सिंह मार्को, गणेश पांडे,मानसिंह गौरी शंकर तिवारी रमेश गुप्ता कोटमी, छोटू बाबा भाड़ी ग्राम सेखवा के सरपंच इतवार सिंह, रामप्रसाद कोलविरा इतवार सिंह ओट्टी भाड़ी, भिखारी सिंह 😭सलाम,सहित सैकड़ो लोगों ने भाग लिया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम के पश्चात संगीत संध्या एवं भजन कीर्तन का आयोजन किया गया जो देर रात चला रहा। उल्लेखनीय है कि बीते 23 अप्रैल को दोपहर लगभग 12:00 बजे जगदीश बाबा ने आंखें बंद कर ली थी तथा देर शाम जगदीश बाबा को विधि विधान से अंतिम विदाई भावभीनी दी गई।