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*मरवाही विधायक प्रत्यासी डॉ के के ध्रुव के विरोध में 11 दावेदारों सहित करीब 100 कांग्रेसी नेताओं ने इस्तीफा दिया

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मरवाही के 11 दावेदारों सहित करीब 100 कांग्रेसी नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है, कांग्रेस के बगावती नेताओं ने कांग्रेस जिला महामंत्री पुष्पराज सिंह को संयुक्त रूप से इस्तीफा सौंपा है। दरअसल विधायक डॉक्टर के के ध्रुव को मरवाही से प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज कार्यकर्ताओं का इस्तीफे का दौर शुरू हुआ है जो आगे और भी जारी रहने का दावा किया जा रहा है। आज जिला कांग्रेस पहुंचकर इस्तीफा सौंपने वालों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले गुलाब सिंह राज, प्रताप मरावी, अजीत श्याम सहित कई नामी ग्रामीण चेहरे शामिल है जिला कांग्रेस की ओर से इन लोगों के इस्तीफा को प्रदेश कांग्रेस को प्रेषित कर आगे की कार्रवाई करने की बात संगठन की ओर से कही गई है।

निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में उतारेंगे
मरवाही में आखिरकार वही हुआ इसका कयास लगाया जा रहा था और यहां पर कांग्रेस में भारी बगावत देखी जा रही है, मरवाही के हुए 27 दावेदारों में करीब आधे दावेदारों ने बगावत कर दी है, जो डॉक्टर ध्रुव की जगह खुद दावेदारी कर रहे थे और आज कोदवाही गांव में इन्होंने बैठक करके निर्णय लिया कि वे निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में उतारेंगे और किसी भी सूरत में इनको मरवाही के विधायक डॉक्टर के के ध्रुव बर्दाश्त नहीं है।

मरवाही विधायक प्रत्यासी मरवाही डॉ के के ध्रुव का विरोध जारी ,बड़ी संख्या में एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया

*सारे कांग्रेसी नेताओ ने एक स्वर में कहा की
विधायक क्षेत्र का मुखिया और सर्वांगीण विकास का सृजनकर्ता होता है । मुखिया का भाव तब सम्भव है जब उसे वह क्षेत्र और वहाँ की जनता अपनी लगे साथ ही उसमे क्षेत्र को साधन संपन्न बनाने का मास्टर प्लान हो । किराये के घर और स्वय के घर के रखरखाव में जो सोच मलिक का होता है वही स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी में होता है । क्षेत्र की जानता कि स्थानीय प्रत्याशी कि माँग क़तई अनुचित नहीं है । स्थानीय प्रत्याशी यहाँ के कार्यकर्ताओं का हक़ और अधिकार है ।पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों की रायसुमारी और जनभावना अनुरूप ही उनकी पसंद से एवम् उनके बीच से ही प्रत्याशी का चयन होना चाहिये । स्थानीय दावेदारों और कार्यकर्ताओं के लाख अनुरोध के बाद भी अपनी हठधर्मिता से पैरासूट प्रत्याशी देना यहाँ के कार्यकर्ता और आमजन की भावना का निरादर तथा बड़े नेताओं की तानाशाही है । पार्टी में सन्निष्ठा के बावजूद कार्यकर्तागण को विरोध करने के लिये मज़बूर करने कौन ज़िम्मेदार है ? क्या ऐसे बड़े नेताओं पर पार्टी कार्यवाही करेगी
वर्तमान विधायक केवल पूर्व जिलाध्यक्ष के सलाह से चल रहा और उसका निज सहायक उसका कर्ताधर्ता है जो इस आदिवासी क्षेत्र के लिए शर्मनाक बात है

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