“सेवा केंद्र में ताला, मितानिनों की हालत ‘आ बैल मुझे मार'”
“सेवा केंद्र में ताला, मितानिनों की हालत ‘आ बैल मुझे मार'”
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही :- जिले के मरवाही ब्लॉक के ग्राम पंचायत सेखवा में राजीव गांधी सेवा केंद्र की बदहाली ने स्थानीय मितानिनों का जीना मुहाल कर दिया है। सुबह 8 बजे से कड़ी धूप में मितानिनों को सेवा केंद्र के बाहर ताला खुलने का इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते न तो समय पर ताला खुलता है और न ही कोई मूलभूत सुविधा उपलब्ध है। मितानिनों का कहना है कि जब से नये सरपंच और सचिव का चुनाव हुआ है, तब से सेवा केंद्र का हाल पूरी तरह बेपटरी हो चुका है।
मितानिनों ने गुस्से में बताया कि कई बार सरपंच और सचिव से सेवा केंद्र का ताला समय पर खोलने की मांग की गई, लेकिन उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया गया। आज जब मितानिनों ने सचिव से ताले की चाबी मांगी, तो जवाब में उन्हें ताना सुनने को मिला। सचिव ने कहा, “ताला तोड़ दो और नया लगा लो, इसमें क्या बड़ी बात है?” मितानिनों ने साफ तौर पर ताला तोड़ने से इंकार किया और चाबी के इंतजार में घंटों धूप में बैठे रहे।
यह बदहाली यहीं तक सीमित नहीं है। मितानिनों ने बताया कि आज उनकी एक महत्वपूर्ण मीटिंग भी प्रस्तावित थी, लेकिन जिम्मेदारों की अनुपस्थिति और ताले की समस्या के कारण इसे रद्द करना पड़ सकता है। मीटिंग का उद्देश्य क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और मितानिनों की समस्याओं पर चर्चा करना था, लेकिन अब यह योजना अधर में लटक गई है।
मितानिनों ने सेवा केंद्र की अन्य समस्याओं को भी उजागर किया। उनके अनुसार, केंद्र में शौचालय तो बना है, लेकिन उसमें भी ताला जड़ा रहता है, जिसे खोला ही नहीं जाता। इससे मितानिनों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, केंद्र में पीने के पानी और हाथ धोने की कोई व्यवस्था नहीं है। नल तो लगा है, लेकिन उसमें पानी की एक बूंद भी नहीं आती। गर्मी के इस मौसम में पानी की कमी ने मितानिनों की परेशानी को और बढ़ा दिया है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि राजीव गांधी सेवा केंद्र का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं को सुलभ बनाना था, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता ने इस केंद्र को मात्र एक खानापूर्ति बना दिया है। मितानिनों ने जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वे विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगी।
इस मामले में जब सचिव से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनकी ओर से बस यही जवाब मिला कि ताला तोड़ कर नया लगाया जाए। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस बदहाली को गंभीरता से लेता है या मितानिनों का इंतजार और लंबा होता जाएगा। ग्रामीणों और मितानिनों की उम्मीदें अब जिला प्रशासन पर टिकी हैं, जो इस सेवा केंद्र को फिर से पटरी पर ला सके।