सिर्फ पतंजलि वाले लाला रामदेव ही क्यों बाकियों पर भी लगाम कसा जाना चाहिए
भ्रामक विज्ञापन मामले में लाला रामदेव के विरुद्ध की जा रही कार्यवाही हम ने से बहुत से लोगों को अच्छी लग रही होगी।। लगना भी चाहिए,,शुक्र है I M A ने लाला रामदेव मामले में अपनी सक्रियता दिखाई।। जिसके बाद देश का बड़ा बुद्धिजीवी वर्ग भी लाला रामदेव के खिलाफ उठ खड़ा हुआ।।उसकी चेतना भी देर से सही परंतु जागृत तो हुई।।
मेरे अनुसार भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा उर्फ लाला रामदेव एक बहुत छोटी सी कड़ी मात्र है।। दरअसल में देश की आबादी का 90 फीसदी हिस्सा भ्रामक विज्ञापन के फेर में आए दिन न केवल अपने जीवन भर की कमाई,बल्कि अपना स्वस्थ सुखी जीवन और कई मामलों में तो अपनी पैतृक संपत्तियों को भी नियमित रूप से गंवा रहा है।
भ्रामक विज्ञापन में फंसे लोग बड़ी संख्या में आत्म हत्याएं भी कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार देश की धीमी होती अर्थव्यवस्था के पीछे बड़ा कारण भ्रामक विज्ञापन ही है। जिसकी चकाचौंध प्रस्तुति से एक वर्ग तो बेहिसाब पैसा कमा लेता है,जबकि दूसरा वर्ग शोषित होकर आर्थिक,मानसिक और शारीरिक नुकसान के अलावा अपना जीवन भी हार रहा है।
दरअसल में हमारे देश में भ्रामक विज्ञापन का दायरा ही बहुत बड़ा है। इसकी शुरुवात भारतीय राजनीति से होती है। यहां अपने झूठे सच्चे चुनावी वायदों को लेकर राजनीतिक दल भ्रामक विज्ञापनों का खूब प्रचार प्रसार करते रहे हैं। इनके द्वारा चुनावी वायदों की पूर्ति विज्ञापनों के आधार पर कभी नहीं की जाती हैं। इन पर देश के बुद्धिजीवी लोगों ने पिछले 75 सालों में कभी भी सवाल खड़ा नहीं किया??
अब आते है व्यवसायिक विज्ञापनों की तरफ यहां हमारे देश में बेचे जाने वाले लगभग 99 फीसदी उत्पादों को बेच कर अधिक से अधिक पैसे कमाने की होड़ में तमाम उत्पादक कंपनियां अपने उत्पाद की गुणवत्ता के ईत्तर ऐसे_ऐसे भ्रामक प्रचार कार्य रही है जिनका वास्तविकता से दूर_दूर का कोई नाता नहीं रहा है।
मसलन धीमा जहर(पान मसाला/तंबाकू युक्त)में केशर का दम बताने वाला विज्ञापन,my सर्कल 11 जैसे हजारों ऑनलाइन गेम से करोड़पति बनने का विज्ञापन आदि।। इनके अलावा देश में हजारों की संख्या में आफलाइन या ऑनलाइन बेचे जानी वाली दवाइयों की कंपनियां(जिनमें से ज्यादातर तो भारत सरकार के मानक स्तरों पर प्रमाणित भी नहीं होती हैं)इनके द्वारा तमाम तरीकों की घातक बीमारियों जैसे शुगर,बी. पी.,पैरालिसिस,डायलिसी, कैंसर से लेकर यौन शक्ति वर्धक दवाइयों का दिन रात खुला प्रचार किया जाता है।
इनका दावा होता है कि उनकी महंगी और अप्रमाणित दवाइयों का इस्तेमाल करने से देश के हजारों लाखों मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके है। क्या लाला रामदेव के भ्रामक विज्ञापनों की तरह IMA की नजर समय रहते इन पर नहीं पड़नी चाहिए,जो नही पड़ी।। जबकि ये सभी कंपनियां अपने भ्रामक विज्ञापनों के जरिए रोजाना लोगों के जेब और जान दोनों से खेल रही है
क्या देश की सरकार,बुद्धिजीवियों और न्यायपालिका को आन लाइन जुआ के भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार प्रसार पर स्वफूर्त संज्ञान नहीं लेना चाहिए,जो दिनों दिन हजारों लाखों लोगों को आर्थिक,मानसिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाकर सिर्फ पैसे कमाने में लगी हुई है??
मेरे निजी विचार में लाला रामदेव के विरुद्ध की जाने वाली कानूनी कार्यवाही और उक्त कार्यवाही को हमारा समर्थन करना तब तक अधूरा है,,जब तक देश का भविष्य तय करने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों के अलावा देश में अपना कारोबार करने वाली कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों की हदें तय नहीं कर दी जाती।।।
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