5 साल सरकार में रहते हुए 2100 करोड रुपए का शराब घोटाला
कांग्रेसियों की सरकार जाते ही निकला जिन्न। एक के बाद एक नेता कटघरे में दिख रहे।
इधर बस्तर की बात करें तो आदिवासी संस्कृति में रची-बसी है शराब।
अब जिस चीज का महत्व पूरी आबादी के लिए है, उसका जिक्र चुनाव में न आए, ऐसा भी नहीं हो सकता। कांग्रेस के लोकसभा चुनाव प्रत्याशी कवासी लखमा के बोल ने एक बार फिर शराब को तवज्जो दे दी है।
उनके बयान के बाद लोग सही और गलत पर बातचीत करते दिख रहे हैं।
कवासी लखमा का बचाव करते कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि आदिवासियों का सुख-दुख बगैर शराब के पूरा नहीं होता। ऐसे में रीति- रिवाज और संस्कृति से जुड़ी चीजों के साथ छेड़छाड़ करना या राजनीतिक इस्तेमाल करना बिल्कुल भी सही नहीं माना जा सकता।
भाजपाई चुनावी नतीजे को प्रभावित करने के लिए शराब का उपयोग करते हैं। इसलिए उन्हें यह भान नहीं है कि आदिवासियों में शराब का क्या महत्व है।
लंबे समय तक कांग्रेस में रहकर अपना राजनीतिक कद स्थापित करने वाली महापौर सफीरा साहू अब भाजपा की हो चुकी हैं।
लखमा ने जब उन पर नाराजगी जाहिर करते असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया तो वह भी अपने आप को नहीं रोक पाई। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष पर सीधा आरोप मढ़ते हुए सफीर ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर महसूस किया है कि कांग्रेस में महिलाओं को सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता।
सफीरा साहू, महापौर
लखमा के बयान पर मौका गवाएं बगैर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे बयान कांग्रेसियों से ही अपेक्षित हैं। निम्न स्तर की भाषा का इस्तेमाल कांग्रेसियों की पुरानी आदत है। उन्होंने तो प्रधानमंत्री तक को नहीं बख्शा। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अपनी जगह है, लेकिन इस तरह की भाषा को कोई स्थान नहीं होना चाहिए। किसी भी कीमत पर इस तरह की भाषा स्वीकार्य नहीं हो सकती।
किरण देव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
लोकसभा जैसे महत्वपूर्ण और बड़े चुनाव में जोश जरूरी है, लेकिन भाषा पर संयम अगर न रहे तो इससे व्यक्तिगत नुकसान भी संभव है। राजनीति में ऊंचा स्थान हासिल करने वाले जितने भी नेता हुए हैं, उन्होंने हमेशा मर्यादा में रहकर ही अपनी बात रखी है। इसलिए बस्तर में भी नेताओं को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उनकी कही किसी बात से किसी को ठेस न पहुंचे।
The post 5 साल सरकार में रहते हुए 2100 करोड रुपए का शराब घोटाला appeared first on khabarsar.