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गौरेला पेंड्रा मरवाही: खुलेआम हो रहा रेत का अवैध खनन और परिवहन, माफियाओं को खनिज विभाग का संरक्षण,

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गौरेला पेंड्रा मरवाही:  जिले में इन दिनों नदियों में अवैध रेत उत्खनन जोरों पर है. रेत माफियाओं (Sand Mafia) द्वारा रेत उत्खनन का गोरख धंधा काफी दिनों से किया जा रहा है, ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि रेत उत्खनन करने वाले एवं माफियाओं पर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है. बता दें कि जिले में नदियों का दोहन करना कोई नया काम नहीं है, यह काफी लंबे समय से चला आ रहा है, आप जब चाहे, जितना चाहे नदी से बगैर परमिशन बालू (रेत) उठाकर ले जा सकते है, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में सोन नदी, सहित ,कोलबिरा, खोडरी, तरईगांव, अमेरा टिकरा सहित अन्य गांवों में भी नदियों से रेत निकालकर मध्यप्रदेश तस्करी की जा रही है. कई छोटी से बड़ी नदियों से रोजाना 200 से 300 ट्रैक्टर एवं छोटे ट्रक में बालू भरकर लोकल एरिया से लेकर अन्य प्रांतों में भी भेजा जा रहा है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अधिकारियो के संरक्षण में रेत माफिया फल-फूल रहे हैं और रेत उत्खनन जैसे अनैतिक कार्य कर नदियों का दोहन कर रहे हैं.

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला बालू तस्करों का अड्डा बना हुआ है, कुछ बालू तस्करों के द्वारा यहां की नदियों के अस्तित्व को खत्म किया जा रहा है. बालू तस्कर जिले की हर छोटी बड़ी नदियों को अपना शिकार बना रहे हैं. जीवनदायनी कहे जाने वाली नदी हो या चाहे जिला मुख्यालय से होकर गुजरने वाली वाली नदी हो, हर जगह बालू तस्करों का अड्डा बना हुआ ,

गौरेला, पेंड्रा ,सकोला और मरवाही तहसील के बीच सीमा पर बहने वाली सोन नदी पर प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक रोजाना सैकड़ों ट्रिप बालू माफियाओं के द्वारा ले जायी जा रही है. इतनी भारी मात्रा में नदियों से बालू ले जाया जा रहा है तो सवाल उठना भी लाजमी है कि जिले की नदियों की अस्मिता कैसे बचेगी? यहां की नदियां जिंदा रह पाएगी या नहीं? इस मामले पर खनिज विभाग, राजस्व विभाग जरा सा भी ध्यान नहीं दे रही है.

रेत माफियाओं को मिल रहा है राजनीतिक संरक्षण?

ग्रामीणों से जब रेत उत्खनन पर कार्यवाही को लेकर पूछा तो ग्रामीणों ने दावा किया कि रेत माफियाओं द्वारा पिछले कई महीनों से खुलेआम रेत का अवैध खनन किया जा रहा है. यहां से बालू ले जाकर लोकल एरिया एवं अन्य जगहों में भी चोरी-छिपे भेजा जा रहा है, प्रशासन को भी इस बात की जानकारी है, लेकिन प्रशासन कोई एक्शन नहीं ले रहा है. सवाल यह है कि उत्खनन एवं माफियाओं पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? कुछ लोगों का कहना है कि कहीं ना कहीं राजनीति से संबंध रखने वाले लोगों का संरक्षण इन्हें प्राप्त है. यही वजह है कि जिला प्रशासन इस अनैतिक कार्य पर हस्तक्षेप नहीं कर पा रहा है.


जिम्मेदारों ने दिया रटा रटाया जवाब

उक्त अवैध खनन मामले में जब अधिकारियो से बात की जाती है तो उनके द्वारा एक ही जवाब दिया जाता है की अवैध खनन और  परिवहन और तस्करी पर जल्द ही कार्यवाही करेंगे. अब देखने वाली बात यह है कि कब नदियों से बालू तस्करी का काम रुकता है या फिर माफियाओं खेल जारी रहेगा.

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