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क्या कोरिया के पूर्व प्रभारी डीपीएम को स्वास्थ्य मंत्री व कलेक्टर का खुला संरक्षण?

क्या स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा एक पूर्व प्रभारी डीपीएम का बचाव किया जाना भाजपा के प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व की छवि खराब नहीं कर रहा?

कोरिया के पूर्व स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी डीपीएम सूरजपुर का वित्तीय प्रभार ले लिए लेकिन तबादला के पश्चात कोरिया का वित्तीय प्रभार अभी तक नहीं छोड़ा:सूत्र।

स्वास्थ्य मंत्री की छवि के साथ राज्य में भाजपा की छवि सहित केंद्र के यशस्वी प्रधानमंत्री की छवि भी हो रही धूमिल।

क्या स्वास्थ्य मंत्री एक पूर्व प्रभारी डीपीएम के लिए अपनी छवि को लगा रहे दांव पर?

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की शह पर अब तक नही मिला वित्तीय प्रभार…सीएमएचओ बैठक में कहते है कलेक्टर उसी की सुनते है, क्या यही सही है?

भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी सरोज पांडेय के चुनाव पर बड़ा असर होने की है संभावना।

सूरजपुर कोरिया @कौशलेन्द्र यादव । कोरिया जिले में स्वास्थ्य विभाग में भर्राशाही चरम पर है, 11 मार्च को कोरिया जिले से तबादला उपरांत भारमुक्त हो चुके स्वास्थ्य विभाग के पूर्व डीपीएम को अब तक सीएमएचओ कोरिया ने नही हटाया है, अभी भी वो विभाग के न सिर्फ व्हाट्सएप ग्रुप में है बल्कि एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग के दोनो ईमेल भी अपने मोबाइल से हैंडल कर रहे हैं, बेहद मीठे सीएमएचओ उसे हटा इसलिए नही रहे हैं क्योंकि उसी की कृपा से उनकी कुर्सी बची हुई है। स्वास्थ्य विभाग के लगातार खुलासे से भाजपा की लोकसभा चुनाव की प्रत्याशी सरोज पांडेय के चुनाव पर इसका असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।

खबर के बाद कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है, विभाग में अब तक के सबसे होशियार सीएमएचओ की रणनीति से राज्य की भाजपा सरकार की काफी किरकिरी हो रही है, चुनावी समय मे इसका नुकसान भाजपा को होना तय देखा जा रहा है। कांग्रेस सरकार में बीते अक्टूबर 2022 से आज तक स्वास्थ्य विभाग में जमकर वित्तीय अनियमितता बरती गई, जिसमे जिला प्रशासन का पूरा साथ देखा गया, भ्रष्टाचार की वजह से पूरा महकमा नाराज रहा और अब भी नाराज ही है। भाजपा सरकार आई स्वास्थ्य मंत्री संभाग से ही बने पर उन्होंने तो भ्रष्टाचार को ही गले लगा लिया, और कई शिकायत के बाद भी जांच के निर्देश नही दिए हर जगह भ्रष्टाचारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को बचाने में जुटे रहे।

खुद को मंत्रीजी का भतीजा बताने वाले कोरिया जिले के पूर्व डीपीएम ने अब तक कोरिया जिले में वित्तीय प्रभार नही सौंपा है जबकि सुरजपुर जाकर वहां का वित्तीय प्रभार ले लिया है, मंत्री जी एकदम से उस पर मेहरबान हो चुके है। वही कोरिया जिले के सीएमएचओ जो कि पूरी तरह से पूर्व डीपीएम पर ही आश्रित थे अब तक उसे जिले के बाहर नही कर पा रहे है। अब तक जीमेल एकाउंट उससे नही लिया गया है और न ही उसे जिले के स्वास्थ्य विभाग के व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर किया गया है। जिससे साफ है सीएमएचओ और डीपीएम के साथ सहायक लेखपाल मिलकर कुछ दाल में काला करने में लगे है।

नेम प्लेट भी और चेम्बर भी-
कहने को डीपीएम को स्वास्थ्य मंत्री और उनके चाचा ने सुरजपुर भेज दिया है पर अभी उसका चेम्बर भी और चेम्बर के बाहर नेमप्लेट भी उसी के नाम की लगी हुई है, सब जानते हुए स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ चमचई में जुटे हुए है एक संविदा कर्मी की चमचई उन्हें इसलिए करनी पड़ रही है जो उन्होंने स्वयं सभी कर्मचारियों के सामने घड़ियाली आंसू बहाते हुए कह डाली की कलेक्टर उनकी नही डीपीएम की सुनते है। आप सहज अंदाजा लगा लीजिए कि क्या हाल हो गया है जिले के स्वास्थ्य विभाग का, तो राष्ट्रीय कार्यक्रम का क्या हाल होगा।

क्या स्वास्थ्य मंत्री का एक तत्कालीन प्रभारी डीपीएम का बचाव करना भाजपा के राज्य व केंद्रीय नेतृत्व की छवि खराब नहीं कर रहा?-
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का खुद को भतीजा बताने वाले कोरिया जिले के पूर्व डीपीएम वर्तमान में सूरजपुर डीपीएम के कारण स्वाथ्य मंत्री की छवि धूमिल हो रही है वहीं स्वास्थ्य मंत्री की छवि के साथ भाजपा के प्रदेश सहित केंद्रीय नेतृत्व की छवि धूमिल हो रही है क्योंकि कांग्रेस शासनकाल से स्वास्थ्य विभाग कोरिया में भ्रष्टाचार फैला रहे स्वास्थ्य विभाग को जिले में खोखला कर रहे प्रभारी डीपीएम को भाजपा शासनकाल में भी संरक्षण मिल रहा है

जबकि भाजपा शासनकाल में लोगों को उम्मीद थी की डीपीएम पर भ्रष्टाचार को लेकर कार्यवाही होगी। कोरिया जिले से भ्रष्टाचार करते हुए प्रभारी डीपीएम को सूरजपुर जिले भेज दिया गया जो केवल इसलिए भेजा गया जिससे उनका विरोध दबाया जा सके उनकी करनी भ्रष्टाचार को छिपाया जा सके लेकिन सूत्रों की माने तो कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में उनका हस्तक्षेप बराबर बना हुआ है वहीं वह खुद ही जिले के स्वास्थ्य महकमे को संचालित कर रहे हैं। जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया पूर्व डीपीएम के इशारे पर ही काम कर रहे हैं और इसके पीछे का कारण यह है की वह स्वास्थ्य मंत्री का खुद को भतीजा बताते हैं वहीं जिसके कारण जिले के आला अधिकारी और प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी उनसे भय खाते हैं।

भाजपा के भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान को बड़ा आघात लग रहा है-

पूर्व डीपीएम कांग्रेस शासनकाल से ही जिले के स्वास्थ्य विभाग को खोखला करने का काम कर रहे हैं वहीं वह कोरोना वैश्विक महामारी के समय भी भ्रष्टाचार से बाज नहीं आए थे और तब भी वह सुर्खियां बटोर रहे थे। अब भाजपा शासनकाल में भी वह अपनी मनमानी कर पाने में इसलिए स्वतंत्र हैं क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री उनके चाचा हैं। वैसे स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा होने का लाभ उन्हे मिल रहा है उन्हे जहां भ्रष्टाचार मामले में कार्यवाही का मुंह देखना था विभाग से बाहर किया जाना था उन्हे उपकृत किया जा रहा है संरक्षण दिया जा रहा है। वैसे पूर्व डीपीएम की वजह से भाजपा के भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान को बड़ा आघात लग रहा है और प्रदेश सहित केंद्रीय नेतृत्व की छवि धूमिल हो रही है क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री ऐसे मामले में भ्रष्टाचार को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं जिसमे लोगों के स्वास्थ्य का मामला जुड़ा हुआ है।

कोरिया के पूर्व प्रभारी डीपीएम सूरजपुर का वित्तीय प्रभार ले लिए पर कोरिया का वित्तीय प्रभार अभी तक नहीं छोड़ रहे:सूत्र-
कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रभारी डीपीएम तबादला किए जाने पश्चात सूरजपुर जिले में जाकर कार्यभार ग्रहण तो कर लिए वहां का वित्तीय प्रभार तो ले लिए लेकिन उन्होंने कोरिया जिले का वित्तीय प्रभार अभी तक नहीं छोड़ा है यह सूत्रों का कहना है और उनका दावा है। क्या पूर्व प्रभारी डीपीएम कोरिया जिले का प्रभार नहीं छोड़ना चाहते क्या उनका कोरिया जिले से मोह भंग नहीं हुआ है अभी वह और भी भ्रष्टाचार जिले में करना चाहते हैं यह सवाल भी खड़ा हो रहा है।

पूर्व डीपीएम कोरिया जिले का वित्तीय प्रभार इसलिए भी शायद नहीं छोड़ रहे हैं क्योंकि उन्हे लोकसभा चुनाव उपरांत वापस कोरिया जिले ही आना है यह भी एक संभावना प्रभार नहीं छोड़ने को लेकर बताई जा रही है। वैसे वह अपने कुछ पुराने ऐसे कारनामे छिपाने के लिए भी प्रभार नहीं छोड़ रहे हैं जिनके कारण उनकी कमियां पता चल सकती हैं यह भी एक कारण उनके प्रभार नहीं छोड़ने के पीछे का बताया जा रहा है। वैसे प्रभार नहीं छोड़े जाने मामले में कितनी सच्चाई है यह तो जिले के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ही बता सकते हैं लेकिन सूत्रों की माने तो वित्तीय प्रभार अभी पूर्व डीपीएम के ही पास है।

क्या कोरिया जिले के पूर्व प्रभारी डीपीएम को स्वास्थ्य मंत्री व कलेक्टर का खुला संरक्षण प्राप्त है?-
वैसे कोरिया जिले के पूर्व प्रभारी डीपीएम स्वास्थ्य विभाग जिनका हाल ही में तबादला सूरजपुर जिले किया गया है का कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में दखल बराबर बना हुआ है जो कांग्रेस शासनकाल से ही बना हुआ है जो भाजपा शासनकाल में भी पूर्ववत बना हुआ है कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है बल्कि भाजपा शासनकाल में दखल ज्यादा देखने को मिल रहा है और पूरा स्वास्थ्य विभाग उन्ही के नियंत्रण के नजर आता दिखाई दे रहा है।

वैसे पूर्व डीपीएम का जिले के स्वास्थ्य विभाग में दखल केवल उनके अकेले के दम पर कायम है ऐसा नहीं है। माना जा रहा है की स्वास्थ्य मंत्री का खुद को भतीजा बताकर वह यह साबित करते रहते हैं की वह स्वास्थ्य मंत्री के परिवार से हैं और उनके मामले में स्वास्थ्य मंत्री कोई भी हस्तक्षेप नहीं करने वाले। वैसे यह भी लोगों का कहना है की कलेक्टर सहित स्वास्थ्य मंत्री का उन्हे खुला संरक्षण है जिसकी वजह से वह आपनी मनमानी करते रहे हैं वहीं आज भी वह उन्ही के संरक्षण में मनमानी करते चले जा रहे हैं और उन्हे कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। इस बात की पुष्टि इस बात से होती है की सीएमएचओ कोरिया खुद बैठक में यह कहते हैं की कलेक्टर केवल पूर्व डीपीएम की ही सुनते हैं इसलिए वह कई मामले में खुद मजबूर होते रहे।

क्या स्वास्थ्य मंत्री एक पूर्व प्रभारी डीपीएम के लिए अपनी छवि को लगा रहे दाव पर?-
सूरजपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम बनाए गए कोरिया जिले के पूर्व प्रभारी डीपीएम का भ्रष्टाचार मामले में काफी नाम प्रसिद्ध रह चुका है। कांग्रेस शासनकाल से ही स्वास्थ्य विभाग कोरिया में सेंध लगा रहे प्रभारी डीपीएम को लेकर कई बार शिकायत हुई कई बार उनके ऊपर आरोप लगे लेकिन वह हर बार इसलिए बच निकले क्योंकि कांग्रेस शासनकाल में वह सबको अपने अधीन कर चुके थे सभी को अपने वश में कर चुके थे। तब लोगों को और शिकायतकर्ताओं को लगता था की जब सत्ता परिवर्तन होगा तब इनके विरुद्ध जांच होगी और कठोर कार्यवाही होगी और इनके भ्रष्टाचार मामले की जांच होगी।

लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भी ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि इन्हे और अधिक संरक्षण मिलने लगा जिसका बखान यह खुद करने लगे और स्वास्थ्य मंत्री को ही चाचा बताकर विभाग में धाक जमाने लगे। वैसे इनकी धाक जम भी गई और स्वास्थ्य मंत्री ने भी इनके मामले में मौन धारण कर लिया और औरों को संतोष का अर्थ बताकर इन्हे भ्रष्टाचार से रोकना वह भूल गए जिसके कारण स्वास्थ्य मंत्री की छवि भी धूमिल होती चली गई जो लगातार धूमिल होती जा रही है। वैसे स्वास्थ्य मंत्री अपनी छवि को पूर्व डीपीएम के मामले में धूमिल करने से भी पीछे नहीं हट रहे वहीं वह इस मामले में वह अपनी छवि से भी समझौता करने तैयार हैं।

सरोज पांडेय के चुनाव में होगा असर-

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से लोगो मे खासी नाराजगी है स्वास्थ्य विभाग का अमला गांव गांव तक फैला हुआ है, जो लोकसभा के चुनाव के भाजपा की सरोज पांडेय को काफी नुकसान पहुंचा सकता है ऐसा सूत्र बताते है कि एक बार भी कांग्रेस की सरकार के समय जो लोग लामबंद हुए थे इस चुनाव में भाजपा की सरोज पांडेय के खिलाफ लामबंदी शुरू हो चुकी है, उल्लेखनीय है भी भाजपा सरकार के समय वर्ष 2017 में पूर्व डीपीएम के खिलाफ कांग्रेसियों ने बड़ा प्रदर्शन किया था कई दिन आंदोलन चला था उसके बाद भाजपा की हार हुई थी,

वही बीते अक्टूबर 2022 से कांग्रेस ने पूर्व डीपीएम को गले लगा रखा था घटती घटना ने बताया कि सिर्फ स्वास्थ्य विभाग से 10 हजार मतों का कांग्रेस को नुकसान होने वाला है और जब चुनाव का परिणाम आया तो कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा, अब भाजपा ने फिर गले लगा रखा है और सामने लोकसभा चुनाव है जिला प्रशासन औऱ स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ आमजन से लेकर स्वास्थ्य महकमे में बड़ा विरोध देखा जा रहा है तय है कि इसका खामियाजा भाजपा की सरोज पांडेय को हो सकता है, हालंकि अभी समय रहते सरोज पांडेय ने यदि आमूलचूल परिवर्तन कर डाला तो कुछ हद तक नाराजगी दूर की जा सकती है।

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