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रायपुर छत्तीसगढ़ में कुछ महीना पूर्व मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का आदेश जारी हुआ था। लेकिन नियमों का पालन नहीं किए जाने के कारण इनकी पदस्थापना लटकी हुई थी।

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जिसके बाद छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव पुलक भटटाचार्य ने 12 अप्रैल 2023 को केवल अध्यक्ष अल्ताफ अहमद की ही नियुक्ति का आदेश जारी किया है। इसके तत्काल बाद अल्ताफ ने मदरसा बोर्ड में पदभार ग्रहण कर लिया। वही आज पर्यंत तक मदरसा बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति अधर में लटकी हुई है। इसके बाद भी मदरसा बोर्ड के कुछ सदस्य अपने नाम के आगे मदरसा बोर्ड का सदस्य लिखकर सरकारी कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं और वही सरकारी विभाग द्वारा भी उन्हें कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ मदरसा बोर्ड के सदस्य के रूप में बुलाया जा रहा है जो कि नियम के पूर्णतः विपरीत हैं।


इस वजह से अटकी हुई है सूची..

राज्य शासन द्वारा प्रत्येक मंडल-आयोग के लिए बनाये गए अधिनियम के तहत ही नियुक्ति की जाती है, मगर मदरसा बोर्ड के लिए जब अध्यक्ष और अन्य सदस्यों का चयन किया गया तब उसमें 9 की बजाय 13 का चयन कर लिया गया। जिनमे अध्यक्ष पद पर दुर्ग के अल्ताफ अहमद, उपाध्यक्ष पद पर इरफ़ान सिद्दीकी, सरगुजा के नाम की घोषणा हुई। इसके अलावा सदस्य पद पर अशरफ रोकड़िया, मो. अमजद खान, खलील अहमद, अनवर खान, मो. यासीन, हसन रजा, डॉ. शेख इस्तियाक, तौहीद खान, मुकीम अंसारी, शकील अहमद और शाहीद राईन के नाम शामिल किए गए थे। नामों की घोषणा के बाद जैसे ही इस बात की जानकारी हुई, उसके बाद से बोर्ड में नियुक्ति रोक दी गई। हालांकि 12 अप्रैल 2023 को केवल अध्यक्ष अल्ताफ अहमद की ही नियुक्ति का भी आदेश जारी किया गया था। सभी उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अभी तक रुकी हुई है उम्मीद है कि कुछ नामों को कांट-छांट कर जल्द ही सदस्यों की नियुक्ति का भी आदेश जारी कर दिया जायेगा।


नियम के तहत जल्दी होगी सदस्यों की नियुक्ति..

जब हमारी टीम ने छत्तीसगढ़ मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष अल्ताफ अहमद से बात की तो उन्होंने बताया कि एक्ट के तहत ज्यादा सदस्यों की नियुक्तियां कर दी गई थी जिसके कारण यह नियुक्ति रोक दी गई थी। सदस्यों की नियुक्ति के लिए मैंने मुख्यमंत्री जी से निवेदन भी किया था। जल्द ही सदस्यों की नियुक्ति नियम के तहत हो जाएगी जिसका विधिवत आदेश भी जारी कर दिया जाएगा।

क्या कहता है मदरसा बोर्ड का अधिनियम..?

नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अखंड मध्यप्रदेश में लागू मदरसा बोर्ड अधिनियम – 1998 को ही ग्राह्य कर लिया गया, और इसे ही अक्षरशः लागू कर दिया गया था। इसमें 11 पदेन सदस्यों के अलावा अध्यक्ष और उर्दू, अरबी भाषा के एक-एक विद्वान, सुप्रबन्धित मदरसों के 3 अध्यक्ष और मुस्लिम समुदाय के 3 प्रतिष्ठित समाजसेवी को बतौर सदस्य नियुक्त किया जाना होता है। वर्तमान में शासन ने जो नियुक्तियां की है, उसमें उपाध्यक्ष का भी चयन किया गया है, जबकि अधिनियम में इस पद का सृजन ही नहीं किया गया है। वहीं बोर्ड में 8 की बजाय 11 सदस्यों के नाम की घोषणा कर दी गई है। इस तरह मदरसा बोर्ड में अध्यक्ष समेत कुल 9 की बजाय 13 लोगों की नियुक्ति कर दी गई है।

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