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P.M. आवास योजना का लाभ गरीब को मिले या न मिले लेकिन अधिकारी बना लेते हैं अपने लाभ का नया तरीका

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जीपीएम – जिले के ग्राम भदौरा पटेल टोला निवासी श्रीमती देवकुंवर का पीएम आवास योजना के तहत आवास आया था। जो अकेले किसी तरह गुजर बसर करती है। न तो वह पढ़ी लिखी है
आवास योजना से जुड़े अधिकारियों ने जिसका फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

गौरतलब बात यह है कि भदौरा आवास पात्रता रखने वाले में पटेल टोला निवासी देवकुवर का नाम आवासलिस्ट में आ गया है। जिसका पहला किस्त सूची के सभी हितग्राहियों को प्राप्त हो गया है लेकिन देवकुवर ने जब अपना खाता चेक कराने बैंक गई तो उसे पता चला कि उसके खाते में किस्त नहीं आया है।
जिसके बाद विगत चार महीने से आवास अधिकारियों के पास जा कर अपनी गुहार लगा रही है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
पीड़ित देवकुवर का कहना है अधिकारी का कहना है कि पहला किस्त दूसरे के खाते में चला गया है उसे पकड़ कर लाओ।
अधिकारी द्वारा जो नाम बताया जा रहा है वह नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं तो मिले कहा से  और यह गलती अधिकारियों की है न कि आवेदिका की जो दूसरे के खाते में पैसा डाल तो दिए लेकिन अपनी जिम्मेदारी दिखाने के जगह में पीड़ित को दूसरा किस्त डाल देते हैं बोला जा रहा है।
अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पहले उस खाते को होल्ड करा देना या थाने में जा कर शिकायत दर्ज कराना भी उचित न समझना ।
अधिकारी का दूसरे के खाते में डाले हुए व्यक्ति से मिलीभगत साफ नजर आ रहा।
ऐसे ही वाक्या न जाने कितने गरीब बेबस लोगों के साथ घटित हो रही होगी । जिनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं होगा।
इस संबंध में मोबाइल द्वारा अधिकारी से बात किया गया तो अपनी गलती स्वीकार न करते हुए;; बल्कि हितग्राही आवेदक के ऊपर ही सवाल तलब करने में भीड़ गए । उनकी बातों से स्पष्ट लग रहा था कि वे ऐसा काम जानबूझ कर ये काम करते हैं।
हितग्राही का दूसरा खाता या पासबुक होता तो आधारकार्ड लिंक की वजह से दूसरे खाते में जाना संभव हो सकता लेकिन हितग्राही का न तो दूसरे बैंक में कोई खाता है। इस तरह के कृत्य को जानबूझ कर किया गया गबन का नया तरीका कहना गलत नहीं होगा।

प्रशासन इन जैसे गबनकारी अधिकारियों को तत्काल सेवानिवृत कर मिसाल पेश करने का प्रयत्न करे जिससे गरीब के हित को बंदरबाट करने से नहीं चूकते उन्हें सबक मिल सके।
प्रधान मंत्री जी द्वारा गरीबों के हित के लिए देखा गया सपना शायद इन् जैसे अधिकारियों की वजह से पूरा न होना भी एक महत्वपूर्ण कारण है।
राज्य में भी भाजपा की सरकार है जो वादे तो कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर ग्रामीण क्षेत्र में बेबस असहाय के प्रति हो रही दुर्व्यवर का भी निवारण करे।

देखने वाली बात होगी छत्तीसगढ़ में कुछ समय बाद नगरीयनिकाय चुनाव है
प्रशासन आदर्श आचारसहिता लगने से पहले कोई ठोस कदम उठाने में सक्षम हो रही है या फिर इस मामले को लीपापोती कर रफादफा कर दिया जाएगा।

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