रायगढ़

बेखौफ चोरी हो रही सरकारी संपत्ति.. विभाग बैठा मौन.. अभी तक एफआईआर का नही है नमो निशान..?

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  • बेखौफ चोरी हो रही सरकारी संपत्ति.. विभाग बैठा मौन.. अभी तक एफआईआर का नही है नमो निशान..?

रायगढ़@टक्कर न्यूज :- एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग) विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां बेखौफ चोर सड़कों के डिवाइडर चोरी कर रहे हैं। चोरों का कहना है कि जितने डिवाइडर सरकार लगाएगी, वे उतने ही चुरा लेंगे। इस घटना को लेकर अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, जिससे यह सवाल उठता है कि सुरक्षा और निगरानी के इंतजाम कितने कमजोर हैं। कई लाखों रूपये के डिवाइडर पहले ही चोरी हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद एनएच विभाग की ओर से अब तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है। यह विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, जो न केवल सरकारी संपत्ति की सुरक्षा में विफल हो रहा है, बल्कि इस अपराध के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में भी देरी कर रहा है। इससे चोरों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें कानून के डर का कोई अनुभव नहीं हो रहा है। अब सवाल उठता है कि विभाग इस मामले में कब तक चुप्पी साधे रहेगा और कब उचित कार्रवाई करेगा।

 

समाचार चलने और सोशल मीडिया पर मामले के वायरल होने के बाद एनएच विभाग पर काफी दबाव बढ़ेगा। जनता और मीडिया का ध्यान इस मामले पर केंद्रित होने से विभाग को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। आमतौर पर ऐसे मामलों में, जब जनता और मीडिया का दबाव बनता है, तो विभाग को अपनी छवि सुधारने और आलोचना से बचने के लिए एफआईआर दर्ज करवानी पड़ती है।

 

हालांकि, अगर विभाग चुप्पी साध कर बैठा रहता है, तो इससे उसकी साख और अधिक खराब हो सकती है, और जनता का विश्वास भी कमजोर हो सकता है। ऐसे में यह संभावित है कि विभाग एफआईआर करवाएगा और मामले की जांच के आदेश दे सकता है, ताकि चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके और विभाग की लापरवाही के लिए जवाबदेही तय की जा सके। आपका सवाल एक गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चोरी हुए डिवाइडर आखिर कौन से कबाड़ी वाले तक पहुंच रहे हैं और कौन इस सरकारी संपत्ति को खुलेआम खरीद रहा है। यदि कोई कबाड़ी वाला इन डिवाइडरों को खरीद रहा है, तो यह स्पष्ट रूप से गैरकानूनी गतिविधि है और उसकी जांच होनी चाहिए।

 

इस मामले में जीएसटी विभाग को भी जांच करनी चाहिए, क्योंकि यह संभावना है कि कबाड़ी वाले इस चोरी की संपत्ति को बिना किसी वैध दस्तावेजों और कर भुगतान के खरीद-बेच रहे हों, जो कि टैक्स चोरी के दायरे में भी आता है। कबाड़ व्यवसाय में दो नंबर का काम होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

 

इस मामले पर तत्काल एफआईआर होनी चाहिए और पुलिस, जीएसटी विभाग, और अन्य संबंधित एजेंसियों को मिलकर जांच करनी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस पूरे नेटवर्क में कौन-कौन शामिल है और चोरी की सरकारी संपत्ति किस तरह से कबाड़ में बेची जा रही है।

 

जूटमिल थाना प्रभारी मोहन भारद्वाज के बयान से यह स्पष्ट होता है कि अभी तक किसी विभाग द्वारा डिवाइडर चोरी के संबंध में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कोई आधिकारिक आवेदन नहीं आया है। हालांकि, उनका यह कहना कि अगर आवेदन आएगा तो वे तुरंत एफआईआर करेंगे, यह दर्शाता है कि पुलिस कार्रवाई करने के लिए तैयार है, लेकिन विभाग की ओर से पहल नहीं हो रही है।

 

यह स्थिति विभाग की लापरवाही को और उजागर करती है, क्योंकि चोरी की घटनाओं के बाद भी एफआईआर के लिए आवेदन नहीं करना गंभीर चिंता का विषय है। विभाग को अब जल्द से जल्द आवेदन देकर इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई की शुरुआत करनी चाहिए। मीडिया द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद उम्मीद की जा सकती है कि विभाग जल्द ही जागरूक होगा और आवश्यक कदम उठाएगा।

 

यह सवाल बिल्कुल वाजिब है, और पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाता है। यदि चोरी की घटनाएं लगातार हो रही हैं, और पुलिस गश्त भी जारी है, तो यह कैसे संभव है कि चोर खुलेआम चोरी कर रहे हैं और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी? इसका मतलब यह हो सकता है कि गश्त में लापरवाही बरती जा रही है, या फिर चोर इतने बेखौफ हैं कि उन्हें पुलिस का डर नहीं है।

 

पुलिस की गश्त का उद्देश्य ही यह होता है कि क्षेत्र में किसी भी गैरकानूनी गतिविधि को रोका जा सके। अगर चोरी लगातार हो रही है, तो यह पुलिस की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है। यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह रात में सुरक्षा को और मजबूत करे, गश्ती दल को अधिक सतर्क बनाए, और ऐसी घटनाओं पर कड़ी नजर रखे।

 

इस मामले में पुलिस की भी जवाबदेही बनती है कि वे इस बात की जांच करें कि चोरी की घटनाओं के दौरान उनके गश्ती दल कहां थे और कैसे चोर बेखौफ होकर चोरी कर पा रहे थे। उचित कार्रवाई न होने पर इससे जनता में पुलिस के प्रति अविश्वास पैदा हो सकता है।

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