रायगढ़ की सड़कों पर इंसानियत की ऐसी मिसाल: “संकट में संजीवनी, अनजान बने मसीहा”
“संकट में संजीवनी, अनजान बने मसीहा”
रायगढ़@टक्कर न्यूज :- रायगढ़ की सड़कों पर इंसानियत की ऐसी मिसाल कायम हुई, जिसने न केवल एक मां और नवजात की जिंदगी बचाई, बल्कि समाज को भी संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाया। यह कहानी है तमनार थाना क्षेत्र के मिलूपारा गांव की 35 वर्षीय कविता राठिया की, जो अपने पति मनोज राठिया के साथ बिलासपुर से किसी काम के सिलसिले में लौट रही थी। बीती रात, जब यह दंपति ट्रेन से रायगढ़ रेलवे स्टेशन उतरा, तो कविता की थकान और अचानक बढ़ी प्रसव पीड़ा ने उन्हें सिग्नल चौक चौराहे के पास रोक दिया।

कविता ने सड़क किनारे ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे दिया। संजीवनी 108 की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर मां और बच्चे को प्राथमिक उपचार दिया और उन्हें मातृ एवं शिशु चिकित्सालय (एमसीएच) पहुंचाया। वहां गर्भनाल को अलग करने के बाद दोनों को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, लेकिन कविता और उनका परिवार बाद में अपने गांव तमनार लौट गया। सूत्रों के मुताबिक, मां और बच्चा अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।
इस घटना ने रायगढ़ में दो विपरीत चेहरों को उजागर किया। एक ओर, वे लोग थे जो संकट में भी सोशल मीडिया के लिए वीडियो बनाने में मशगूल रहे, और दूसरी ओर विजय छाबड़ा और उनकी पत्नी जैसे लोग, जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के मानवता की मिसाल कायम की। उनकी त्वरित सूझबूझ और संवेदनशीलता ने न केवल एक परिवार को नया जीवन दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि संकट के समय अनजान लोग भी मसीहा बन सकते हैं।
यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सवाल भी छोड़ गई—क्या हमारी संवेदनाएं सिर्फ स्क्रीन तक सीमित हो गई हैं? विजय जैसे लोग इस बात का जीवंत प्रमाण हैं कि इंसानियत की छोटी सी पहल भी किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है। रायगढ़ की यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि हमें यह सोचने पर भी मजबूर करती है कि अगली बार जब कोई मदद मांगे, तो हम क्या करेंगे—कैमरा उठाएंगे या हाथ बढ़ाएंगे?