रायगढ़

झोलाछाप डॉक्टरों का राज: कार्रवाई के वादे खोखले, जनता की जान खतरे में, स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर सवाल, बिना डिग्री के डॉक्टर कमा रहे करोड़ों!!

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“डिग्री गायब, क्लीनिक चालू: रायगढ़ में झोलाछाप डॉक्टरों का जलवा, कार्रवाई का वादा ‘हवा-हवाई’” स्वास्थ्य विभाग की खामोशी, फर्जी डॉक्टरों के ठाठ-बाट; करोड़ों के बंगले, चमचमाती कारें!!

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रायगढ़@टक्कर न्यूज :– रायगढ़ जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। बिना मेडिकल डिग्री और लाइसेंस के ये फर्जी डॉक्टर न केवल लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि अवैध क्लीनिकों से करोड़ों की कमाई भी कर रहे हैं। कुछ समय पहले जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचएमओ) डॉ. अनिल जगत ने मीडिया के सामने दावा किया था कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उनके क्लीनिक सील किए जाएंगे। लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही कोई क्लीनिक सील हुआ।

करोड़ों की संपत्ति, लक्जरी कारें: सूत्रों के अनुसार, जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों में कई वर्षों से चल रहे इन झोलाछाप डॉक्टरों ने सिर्फ प्रैक्टिस से इतनी कमाई की है कि कुछ ने लाखों रुपये के मकान बना लिए, तो कुछ ने लक्जरी कारें खरीद लीं। स्थानीय सूत्रों का दावा है, कि ये फर्जी डॉक्टर बिना किसी डर के बीमारी तथा गंभीर बीमारि का इलाज कर रहे हैं, जिससे कई मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है।

स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी: 2021 में तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद हाल ही में सीएचएमओ डॉ. अनिल जगत ने भी कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन इन वादों के बावजूद स्थिति जस की तस है। सूत्रों का दावा है कि कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण के चलते ये फर्जी डॉक्टर बेखौफ होकर अपने क्लीनिक चला रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

स्थानीय लोगों में आक्रोश: जिले के कई इलाकों में रहने वाले लोग इन फर्जी डॉक्टरों पर निर्भर हैं, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की कमी और डॉक्टरों की अनुपस्थिति आम बात है। एक स्थानीय निवासी नाम न बताने की शर्त पर बताया, “मजबूरी में हमें इनके पास जाना पड़ता है, लेकिन कई बार गलत इलाज से मरीजों की हालत बिगड़ जाती है। स्वास्थ्य विभाग को सब पता है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती।”

विशेषज्ञों की राय: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा दे रहा है। लेकिन अगर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय होकर नियमित छापेमारी और सख्त कार्रवाई करे, तो इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

सवालों के घेरे में प्रशासन: आखिर स्वास्थ्य विभाग इन फर्जी डॉक्टरों पर मेहरबान क्यों है? क्या कार्रवाई के नाम पर सिर्फ बयानबाजी ही काफी है, या बिना शोर मचाए ठोस कदम उठाने की जरूरत है? रायगढ़ की जनता अब स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से जवाब मांग रही है।

स्वास्थ्य विभाग का पक्ष: इस मामले में सी.एच.एम.ओ (डॉ. अनिल जगत) से संपर्क करने की कोशिश की गई, सी.एच.एम.ओ ने जल्द से जल्द कार्यवाही करने का आश्वाशन दिया। टक्कर न्यूज इस मुद्दे पर नजर रखे हुए है और आगे भी इसकी पड़ताल जारी रखेगा।

नोट: पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सिर्फ पंजीकृत डॉक्टरों और मान्यता प्राप्त अस्पतालों पर ही भरोसा करें।

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