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अलाइंस ऑफ आल एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह का कहना है कि

हरियाणा के दो लाख पैरामिलिट्री परिवारों के साथ कल्याण के नाम पर छलावा
अलाइंस महासचिव रणबीर सिंह का कहना है कि वे छलावा शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहे हैं कि राज्य में आठ साल पहले ‘सैनिक विभाग और अर्धसैनिक कल्याण, हरियाणा सरकार’ की स्थापना की गई, लेकिन अभी तक जिला स्तरीय बोर्डों में जवानों व उनके परिजनों का रिकॉर्ड तक विभाग के पास मौजूद नहीं है।

कोई रिटायर्ड पर्सन या शहीद परिवार विभाग के पास जाता है तो जवाब मिलता है कि यहां भारतीय सेनाओं के पैंशन एवं पुनर्वास संबंधित मुद्दों की सुनवाई होती है अभी पैरामिलिट्री जवानों का रिकॉर्ड मौजूद ही नहीं, उन्हें यह कहकर झटका देने का प्रयास किया लाता है कि यहां पर तो ‘सेना’ से जुड़े कर्मियों को लेकर ही बात होती है तो फिर सवाल उठता है कि अर्ध सैनिकों के नाम पट्टी किसलिए।

खास बात यह है कि सैनिक और अर्धसैनिक कल्याण विभाग में अधिकांश पदों पर हरियाणा सरकार का स्टाफ या सेना के रिटायर्ड कर्नल, कप्तान सुबेदार, हवलदार कार्यरत हैं। इनमें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों का प्रतिनिधित्व बिल्कुल न के बराबर है।  रणबीर सिंह बताते हैं, राष्ट्र के लिए गौरव की बात है कि हरियाणा छोटा राज्य होने के बावजूद सेना हो या अर्ध-सेना, सबसे ज्यादा भागीदारी रखता है। अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी सबसे ज्यादा पदक इसी राज्य के खाते में आते हैं।

27 दिसंबर 2016 को हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां सैनिकों के साथ अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड की स्थापना हुई। 14 नवंबर 2019 को ओमप्रकाश यादव को सामाजिक न्याय के साथ साथ सेना व अर्धसैनिक कल्याण मंत्रालय का कार्यभार दिया गया जोकि अब माननीय अभय सिंह यादव जी के पास कार्यभार है।

चूंकि राज्य एवं जिला स्तर पर पहले से ही सैनिक कल्याण बोर्ड कार्यरत थे बाद में सरकार ने उनके साथ ही ‘अर्धसैनिक कल्याण’ की नाम पट्टी जोड़ दी गई जबकि बोर्ड में पूर्व अर्धसैनिकों की मौजूदगी जीरो है। सीआरपीएफ बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी या सीआईएसएफ के रिटायर्ड कर्मियों का बोर्ड में कोई प्रतिनिधि ही नहीं है।

कल्याण के नाम पर बने बोर्डों में सेना के सफाई कर्मचारी, ड्राइवर, चपड़ासी, क्लर्क, हवलदार, सूबेदार, कप्तान से लेकर कर्नल तक रिटायर्ड सैनिक पदस्थ हैं। इन्हें वेतन भत्ते हरियाणा सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं। इसके बावजूद सैनिक-अर्धसैनिक कल्याण विभाग में रिटायर्ड पैरामिलिट्री फोर्स कर्मियों की उपस्थिति नहीं और ना ही सरकार के पास ही कोई रिकॉर्ड।

रणबीर सिंह कहते हैं, क्या हमें यह हक भी नहीं है कि कल्याण बोर्ड में हमारे रिटायर्ड अर्धसैनिकों को समाहित किया जाए जिससे हमारे पैरामिलिट्री फोर्स के परिवारों का लेखा जोखा अप-टू-डेट करने में मदद मिलेगी। अब गंभीर सवाल पैदा होता है कि क्या नाम पट्टिका बदलने से ही कल्याण संभव है।

साल 2018-19 में 128.81 करोड़, 2019-20 में 211.30 करोड़ ओर 2020-21 के बजट में सेना तथा अर्धसेना मंत्रालय को कल्याण के लिए 143 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। हरियाणा सरकार बताए कि बजट में मिली इस भारी भरकम राशि में से पैरामिलिट्री परिवारों के किन मुद्दों पर और कितनी राशि खर्च की गई है। देश वासियों को यह जानकर ताज्जुब होगा कि हरियाणा सरकार के पास कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

राज्य में कितने शहीद परिवार, सेवारत एवं सेवानिवृत पैरामिलिट्री फोर्स के जवान हैं, जब ये रिकॉर्ड ही नहीं है तो फिर किस मुंह से अर्धसैनिक बलों की भलाई की बात करते हैं। ये हैं हरियाणा सरकार द्वारा आठ सालों से लगातार किए जा रहे सौतेले व भेदभावपूर्ण व्यवहार की झलक। जिला स्तर पर कार्यरत सैनिक कल्याण बोर्डों में सेवानिवृत्त अर्धसैनिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए पांच बार प्रतिनिधि मंडल संबंधित मंत्री ओमप्रकाश यादव से मिल चुका है जबकि नतीजा शून्य रहा।

अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से चंडीगढ़ में मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा गया। बातचीत का कोई हल नहीं निकला यहां तक कि जिला उपायुक्तों के माध्यम से मेमोरेंडम सौंप कर मांग पहुंचाई गई।

रणबीर सिंह के कहे अनुसार 25 सितंबर 2018 को माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर से चंडीगढ़ आवास में मुलाकात कर भागीदारी की गुहार लगाई गई। 26 नवंबर 2023 को उस वक्त के सेना व अर्धसैनिक कल्याण मंत्री श्री ओमप्रकाश यादव का भानू पंचकूला आइटीबीपी कैम्पस में मुख्य अतिथि के तौर पर स्वागत किया गया साथ ही जिला स्तर पर कार्यरत बोर्डों में पूर्व अर्धसैनिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग की गई लेकिन परिणाम जीरो रहा।

हरियाणा सरकार द्वारा जिला स्तर पर बने अर्धसैनिक कल्याण बोर्डों में 50 पर्सेंट रिटायर्ड अर्धसैनिकों को शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि हरियाणा राज्य में अर्धसैनिक बलों के सेवारत एवं सेवानिवृत्त जवानों की संख्या सेना से कहीं अधिक है। जब मंत्री सन्तरी से धोखा व वायदा खिलाफी करें तो क्यों ना 2 लाख पैरामिलिट्री परिवार व उनके रिश्तेदार संसदीय आम चुनावों में निर्णायक भूमिका अदा करें।

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