CG चुनाव 2023छत्तीसगढ़रायगढ़

सामाजिक समानता के लिए संघर्ष के प्रतीक रहे बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर

Spread the love

बाबा साहब अंबेडकर को पूरा विश्व सिम्बाल आफ नॉलेज के नाम से सम्मान देता है। उनका नाम विश्व के छह प्रमुख विद्वानों में बड़े आदर और सम्मान से लिया जाता है। कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रारंभ से लेकर आज तक के सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों में उनका नाम प्रथम स्थान पर अंकित है और इस उपलब्धि के लिए उनके सम्मान में विवि में उनकी कांस्य प्रतिमा स्थापित है। सीएनएन आईबीसी के सर्वे में बाबा साहब को सबसे लोकप्रिय भारतीय शख्सियत का स्थान प्राप्त हुआ था।

बाबा साहब के कार्य, योगदान एवं उपलब्धियों की बहुत लंबी फेहरिस्त है। वे सामाजिक समानता व मानव अधिकारों के सबसे बड़े पैरोकार रहे है। वे वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए आवाज मुखर करने वाले सर्वप्रमुख व्यक्ति व प्रतीक रहे हैं। आज भी यदि कोई सामाजिक समानता, बंधुत्व व मानवाधिकार के लिए संघर्षरत हैं जो समझिए वह बाबा साहब के संघर्षों को ही आगे बढ़ा रहा है।

भारत रत्न, बोधिसत्व, संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री थे। उनका राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय योगदान रहा है। भारतीय संविधान का निर्माण कर उन्होंने पूरे देश को एकता के सूत्र में बॉंधकर राष्ट्र को मजबूती दी। विविधता भरे राष्ट्र को एक सूत्र में बॉंधा।

संविधान सभा में प्रारुप समिति के अध्यक्ष रहते हुए बाबा साहब ने संविधान का ऐसा शिल्प विधान तैयार किया जिससे सभा में उपस्थित सदस्यों के साथ-साथ पूरा देश भी सहमत हुआ। इस त्याग एवं समर्पण की बदौलत देश को एक विश्व श्रेष्ठ संविधान मिला। एक ऐसा संविधान जिसके बताए विधान पर चलते हुए देश आज यहाँ तक पहुंचा है और उन्नति के रास्ते तय करते हुआ सतत अग्रसर है।

देश की अखंडता, लोकतंत्र की रक्षा, संवैधानिक मौलिक अधिकारों की सुरक्षा कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो भारतीय संविधान को विश्व श्रेष्ठ संविधान की श्रेणी में रखता है। भारतीय संविधान भारत को एक अलग एवं उन्नत स्थान पर रखता है। सबको जीवन का मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार इसकी नैतिक महत्ता को भी प्रतिपादित करता है।

पड़ोसी देशों में जहाँ देश ने अनेक अस्थिरता के दौर को देखा है, सैन्य शासन देखा है, कई बार लोकतंत्र धराशायी होते देखा है वहीं सत्तर से अधिक वर्षों से भारत लोकतंत्र की मजबूती के साथ खड़ा है तो उसका एक ही कारण, एक ही सर्व प्रमुख विशेषता ‘भारतीय संविधान’ है। इसके लिए राष्ट्र बाबा साहब का सदैव ऋणी रहेगा।

बाबा साहब 06 दिसंबर 1956 को राष्ट्र और समाज की सेवा करते हुए शरीर त्याग दिए और पीछे छोड़ गए स्वतंत्रता, समानता, भातृभाव के संदेश देते जीवन कर्मों की विशाल विरासत। अब इस विशाल विरासत को कायम रखना, परिपोषित करना, आगे बढ़ाना हम सब देशवासियों की जिम्मेदारी है।

आज डॉ. अंबेडकर जयंती जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर उनके संपूर्ण जीवन दर्शन, योगदान, सिद्धांतों और विचारों को जानने का प्रयास हम सभी देशवासियों को करनी चाहिए तभी उनके विचारों का प्रसार कर सकते हैं।

14 अप्रैल हमें बाबा साहब के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेने का अवसर प्रदान करता है।

The post सामाजिक समानता के लिए संघर्ष के प्रतीक रहे बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर appeared first on khabarsar.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button