अगर सोनम सरकार की नीतियों को गलत ठहरा रहे है,मतलब वाकई सरकार कही न कहीं कोई गलती कर रही है
इसलिए विषय को समझे बिना सरकार और उसकी नीतियों को हमेशा अंधा समर्थन देना,,गलत है,हो सके तो अपनी तर्क शक्ति का उपयोग कीजिए
क्यूंकि केद्र सरकार की नीति का गांधीवादी तरीके से विरोध कर रहे सोनम वांगचुक कोई साधारण व्यक्ति नही,,आप और हम जैसे सैकड़ो हज़ारों लोगों से ज्यादा अनुभवी,शिक्षित,योग्य और देशभक्त व्यक्ति है।
आपने अपने जीवन में ढेरों सम्मान और पुरस्कार जीता है। जिनमें सस्टेनेबल आर्किटेक्चर के लिए ग्लोबल अवार्ड (2017),फ्रेड एम. पैकार्ड अवार्ड (2016),एंटरप्राइज के लिए रोलेक्स अवार्ड्स (2016),रियल हीरोज अवार्ड (2008),सोशल एंटरप्रेन्योरशिप के लिए अशोक फेलोशिप (2002) रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (2018) प्रमुख है। जो आपके असाधारण व्यक्तित्व की पहचान है।
पेशे से पर्यावरण और शिक्षाविद महान इंजिनियर सोनम वांगचुक ने हाल ही में भारतीय सेना के लिए 10 सैनिकों को समायोजित करने वाला एक अनोखा मोबाइल सौर ऊर्जा संचालित तम्बू विकसित किया है। जो हमारी सेना के लिए बेहद उपयोगी और अनूठा अविष्कार है। इतना ही नहीं आपने लद्दाख सहित देश के लिए कई अन्य उपयोगी आविष्कार भी किए हैं।
सोनम ने लद्दाख में सिंचाई के लिए एक आर्टिफिशियल ग्लेशियर को तैयार किया है। जो लगातार सुखते लद्दाख को नया जीवन देने जैसा है। इसके अलावा लद्दाख के पहाड़ी वातावरण को ध्यान में रखते हुए,सोनम वांगचुक ने सौर ऊर्जा से चलने वाले मिट्टी के भवनों का डिजाइन किया है। ये इमारतें काफी टिकाऊ होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए पूरी तरह से अनुकूल है। ठंड के मौसम में ये गर्म रहती हैं और गर्मियों में ठंडी रहती हैं। जो लद्दाख के जलवायु के लिए उपयुक्त है।
सोनम वांगचुक जो सिर्फ एक कुशल इंजिनियर ही नहीं बल्कि सुविख्यात शिक्षा सुधारक और एक इनोवेटर भी हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में तो क्रांति ला दी है। आपने छात्र केंद्रित शिक्षा: SECMOL शिक्षा प्रणाली की खोज की है। जो छात्रों की रुचि और आसपास के वातावरण को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
इस शिक्षा प्रणाली में कौशल विकास पर जोर दिया गया है। जो पारंपरिक परीक्षाओं के बजाय छात्रों को उनके चुने हुए क्षेत्र में कौशल सिखाने पर ध्यान देता है। वैकल्पिक स्कूल प्रणाली से इतर SECMOL एक अनूठा स्कूल है,जहां प्रवेश का आधार परीक्षा में असफल होना होता है। इस स्कूल में असफल छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार ही कौशल सिखाया जाता है।
आज पिछले 24 दिनों से जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक अपने क्षेत्र की भलाई के लिए कुछ जायज मांगों के साथ गांधीवादी तरीके से अनशन में हैं। उनके साथ खड़े लद्दाखियों की मुख्य मांग यह है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाएं जैसा असम,मेघालय,त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में प्रावधान हैं। यह स्थानीय समुदायों को इन क्षेत्रों के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अनुमति देता है।
लद्दाख सीमा सुरक्षा से जुड़े एक मसले में उनका कहना है कि सरकारी मिडिया आपको जो भी दिखा रही हों, लेकिन वास्तविकता में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चीन और पाकिस्तान का सामना करने वाले भारतीय सैनिकों का मनोबल इसके तीन सबसे अधिक युद्ध-कठोर घटकों के बीच उपजे कथित असंतोष के कारण सबसे कमजोर स्थिति में है।। आपने लद्दाखी,सिख और गोरखा वर्ग के सैनिकों को लेकर यह दावा किया है।
वांगचुक का कहना है,कि लद्दाखी सैनिकों का मनोबल टूट रहा है,क्योंकि उन्हें लगता है,कि लद्दाख में न तो लोकतंत्र (विधानसभा) है और न ही (स्थानीय लोगों के लिए)आरक्षण है.”उन्होंने शनिवार को जारी एक वीडियो में कहा है कि “दूसरी ओर, पंजाब में होने वाले किसान आंदोलन के कारण सिख सैनिकों के मनोबल पर भी बुरा असर छोड़ा है।। क्यूंकि इन सैनिकों के दादा,पिता,भाई,चाचा,मामा और दोस्त अपनी खेती को बचाने के लिए सरकार से लम्बा शांति पूर्ण संघर्ष कर रहे है।
बदले में सरकार पूरी ताकत से उनका दमन करने में लगी है।सरकारी गोलीबारी में सिख या जाट सैनिकों ने परिवार के कुछ लोगों हमेशा के खो भी दिया है। जो उन्हे विचलित करती है। इसका दुषप्रभाव उन पर भी पड़ा है। वहीं पिछले चार वर्षों से गोरखा सैनिक अग्निवीर(अल्पकालिक/ अनिश्चित भर्ती)के कारण (सेना में)शामिल होने से इंकार कर रहे हैं। लद्दाख के इस सुविख्यात कार्यकर्ता ने यह भी कहा है “कि गोरखा विवाद का सबसे बुरा हिस्सा यह है कि वो अब चीनी सेना में शामिल हो रहे हैं।
कल तक जो सैनिक हमारी सेना के ताकत थे, जिनके बारे में ये कहा जाता है कि अगर कोई आदमी कहता है,कि वह मरने से नहीं डरता, तो वह झूठ बोल रहा है या तो फिर वो गोरखा है। आज आपके पास वही गोरखा नहीं है,वो अब चीन की तरफ से हमसे लड़ेंगे।
वांगचुक लद्दाख में हो रहे घटनाक्रम की राष्ट्रीय मीडिया में कथित तौर पर कवरेज न होने से भी परेशान हैं।। उनका कहना है कि मुझे आश्चर्य है कि आज तक यहां जो आंदोलन चल रहा है, उसका मुख्यधारा मीडिया में कोई उल्लेख नहीं हुआ है। जबकि केंद्र सरकार के इशारों पर काम करने वाली भारतीय मिडिया “सीमा पार से एक महिला,सीमा हैदर आती हैं।
तो उस पर सैकड़ों घंटों तक की चर्चा करती है और लगातार दिखाती भी है।लेकिन लद्दाख पर कोई चर्चा नहीं होती है,जो चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा (सीमा) पर है।”उन्होंने मीडिया कवरेज का जिक्र करते हुए कहा। सीमा हैदर, एक पाकिस्तानी महिला जो एक भारतीय व्यक्ति से शादी करने के लिए अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई।।
इधर वांगचुक ने अपनी टिप्पणी में भारतीय सेना को लेकर जो गंभीर सवाल खड़ा किया है,उसके अनुसार यह जानना महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या वाकई पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हमारी सेना पूरी तैयारी के साथ है खड़ी है
जबकि जनवरी में,थल सेनाध्यक्ष (सी ओ एस) जनरल मनोज पांडे ने कहा था कि सेना उत्तरी सीमा पर उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार और सक्षम है। सेना ने सीमा पर रक्षा को मजबूत करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं।
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