“रेत माफिया का रौद्र रूप, कानून को लात मार मुनाफे का काला धूप”
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“रेत माफिया का रौद्र रूप, कानून को लात मार मुनाफे का काला धूप”
रायगढ़@दीपक शोभवानी :- जिले में रेत माफिया का काला कारोबार उजागर हुआ है, जहां कानून को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है। प्रशासन ने केवल तीन रेत खदानों को भंडारण की अनुमति दी, लेकिन जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। कई जगहों पर बिना अनुमति के भारी मात्रा में रेत का अवैध भंडारण किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, यह रेत अवैध खनन से हासिल की जा रही है। मकसद साफ है—मानसून में वैध खदानें बंद होने पर ऊंचे दामों में रेत बेच मुनाफे की बारिश करना।मेडिकल कॉलेज रोड पर पेट्रोल पंप के पास एक प्लॉट में दर्जनों डंपर रेत बिना किसी वैध अनुमति के जमा की गई है। माफिया अब डंपरों की जगह ट्रैक्टरों से रेत ढो रहा है, ताकि निगरानी से बचा जा सके। खनिज विभाग की कार्रवाई महज खानापूर्ति तक सीमित है। छापेमारी के नाम पर कुछ गाड़ियां जब्त होती हैं, फिर सब शांत। चर्चा है कि विभाग या तो सो रहा है, या सोने का बहाना कर रहा है।खनिज अधिकारियों से जवाब मांगने पर फोन तक नहीं उठाए गए, जिससे मिलीभगत का शक गहराता है। इस गोरखधंधे से जनता की जेब पर बोझ पड़ रहा है। मानसून में रेत की कीमतें आसमान छूती हैं, जिससे निर्माण कार्य प्रभावित होते हैं। साथ ही, सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।खनिज सचिव ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन जिले में इनकी धज्जियां उड़ रही हैं। खनिज विभाग की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है। अब बड़ा सवाल यह है—क्या जिला प्रशासन इस संगठित अवैध कारोबार पर लगाम लगाएगा, या दबंगों के आगे झुक जाएगा? क्या सचिव के निर्देश कागजों तक सीमित रहेंगे, या जमीन पर उतरेंगे?