समय बदलते ही औकात भूल गए गौरेला के नायब तहसीलदार रमेश कमार
कभी रिक्शा चलाते थे, बाद में बने बाबू,जब नायब तहसीलदार बने तो सरकारी कुर्सी पर बैठकर कर रहे हैं गाली गलौज
कहते हैं कि आदमी को अपनी औकात नहीं भूलना चाहिए परंतु कुछ लोग होते हैं जो समय बदलते ही अपनी औकात भूल जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है गौरेला के नायब तहसीलदार रमेश कमार के साथ जिन्होंने कभी अपना जीवन चलने के लिए रिक्शा चलाया मजदूरी की किसी तरह मैट्रिक पास की और बाद में बन गए राजस्व विभाग में बाबू। विभागीय परीक्षा हुई तो ईश्वर की कृपा से नायब तहसीलदार जैसा कार्यपालिक दंडाअधिकारी का पद मिला परंतु जीवन में मिली सफलता को नायब तहसीलदार रमेश कमार संभाल नहीं पाए। पद और प्रतिष्ठा का ऐसा खुमार चढ़ा है कि न्यायपालिका की कुर्सी पर बैठकर खुलेआम जनता को लूट रहे हैं और कुर्सी पर बैठकर अपने ही विभाग के पटवारी को क्लाइंट के सामने मां बहन की गालियां बक रहे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि आदिवासी बाहुल्य गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में आम जनता का जीवन यापन कितना मुश्किल हो गया है।
दरअसल पूरा मामला गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के गौरेला तहसील का है जहां नायब तहसीलदार के पद पर पदस्थ रमेश कमार का सरकारी कुर्सी में बैठे हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है जहां आदिवासी किसान अपने 4: 50 एकड़ जमीन के बेजा कब्जा संबंधी राजस्व प्रकरण के निराकरण एवं उसे राजस्व रिकॉर्ड में नियमित रूप से चढ़ाने के लिए किसी राजस्व प्रकरण में गौरेला में पदस्थ नायब तहसीलदार के कार्यालय के पेशी दर पेशी चक्कर लगा रहा। पीड़ित किसान अपने प्रकरण के निराकरण के लिए नायाब तहसीलदार रमेश कमार के कोर्ट में चक्कर लगा रहा है। उनके घर जा रहा है परंतु पैसे के लालच में अंधे हो चुके नायब तहसीलदार को पीड़ित किसान से सिर्फ एक ही अपेक्षा है किसी तरह पैसा मिल जाए। इसी के चलते नायक तहसीलदार पीड़ित आदिवासी किसान को वीडियो में गाली गलौज करके इस तरह प्रभावित कर रहे हैं ताकि अपना प्रकरण निराकरण करने के लिए किसान अधिक से अधिक पैसा नया तहसीलदार को दे। वायरल वीडियो से इस बात की पुष्टि हो रही है कि किस पर पैसे के दबाव बनाने के लिए नायब तहसीलदार अर्थात कार्यपालिका डंडा अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर रमेश कमार अपने ही विभाग के पटवारी के खिलाफ गाली गलौज करते हुए उसके रूप रंग और उसके पारिवारिक जीवन पर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं तथा दायक पर ही बैठे-बैठे संबंधित प्रकरण में नगदी वसूल कर रहे हैं और दूसरे दिन सुबह घर आने का वादा कर रहे हैं जबकि पीड़ित किसान और उसका सभा भतीजा कह रहा है कि जो पैसे देने हैं वह खेत बेच कर देने पड़ेंगे परंतु प्रजातंत्र के राजा कार्यपालिक दंडाधिकारी का दिल नहीं पसीनता और वह खेत गिरवी रखकर भी किस से पैसा लेना चाहता है तथा दूसरे दिन उसे घर बुलाया है।
इस वायरल वीडियो के बाहर आने से जहां एक और वरिष्ठ पद में बैठे अधिकारियों का चरित्र उजागर हुआ है वहीं दूसरी ओर नवगठित गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में शासन प्रशासन व्यवस्था कितनी लाचार उदासीन है यह वायरल वीडियो से पता चल रहा है। सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की आखिर जनता जाए तो जाए कहां।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन ही पूर्व गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष कैलाश राठौड़ द्वारा राजस्व न्यायालय में चल रहे खुले आम लूट खसोट का वीडियो हुआ था उसके बावजूद यदि राजस्व विभाग की कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं दिखा अलबत्ता नायब तहसीलदार गौरेला कार्यालय का यह वीडियो पूरी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। किन्हीं कर्म से हम उपरोक्त आदिवासी किसान का नाम उजागर नहीं कर पा रहे हैं परंतु इस वीडियो के वायरल होने से इतना जरूर है कि पद और प्रतिष्ठा पाते ही आदमी अपनी औकात भूल जाता है।
बता दें कि यह वही रमेश कमार है जो कभी रिक्शा चलाते थे मजदूरी करते थे तथा बाद में राजस्व विभाग में बाबू बन गए और विभागीय परीक्षा देकर नायब तहसीलदार जैसे पद पर आसीन हो गए परंतु मजबूरी और गरीबी अब भूल चुके हैं तथा एकमात्र लक्ष्य पैसा कमाना रह गया है।