रायगढ़ में रेत माफियाओं का रंग-रंगीला रैकेट! जूटमिल क्षेत्र में लूट की रेत, प्रशासन की खामोशी पर सवाल!!
नदियों का सीना छलनी, माफिया बटोर रहे मुनाफा, कब जागेगा खनन विभाग?
रायगढ़@टक्कर न्यूज :- रायगढ़ का जूटमिल क्षेत्र इन दिनों रेत माफियाओं का गढ़ बन चुका है! राखी सॉल्वेंट और महिंद्रा गोदाम के पीछे रेत के सौदागर रात के अंधेरे में डंपरों से रेत लूटकर सुनसान ठिकानों पर जमा कर रहे हैं। सुबह होते ही ट्रैक्टरों में लादकर यह रेत चुपके-चुपके बिक रही है, और माफिया मोटा माल कमा रहे हैं। यह सब इतनी चतुराई से हो रहा है कि ना किसी की भनक लग रही है, ना ही प्रशासन की नींद टूट रही है।
हमारी टीम ने जब इस रैकेट की पड़ताल की, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। एक भंडारणकर्ता, दुष्यंत साहू, ने बेबाकी से कहा, “मैं तो चींटी की चाल चलता हूँ, असली शेर तो जिले के बड़े माफिया हैं, जो रेत के पहाड़ खड़े कर मुनाफे की माया बटोर रहे हैं।” साहू का यह बयान साफ करता है कि रायगढ़ में रेत का खेल कोई छोटा-मोटा धंधा नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध का रूप ले चुका है।
सूत्रों की मानें तो रात के अंधेरे में डंपर नदियों से रेत लूट रहे हैं, जिससे नदियों का सीना छलनी हो रहा है। पर्यावरण को हो रहा नुकसान किसी से छिपा नहीं है, फिर भी खनन विभाग और जिला प्रशासन खामोश तमाशाई बने हुए हैं। स्थानीय लोग गुस्से में हैं और सवाल उठा रहे हैं कि आखिर यह लूट कब तक चलेगी? क्या माफियाओं की मनमानी के आगे प्रशासन बेबस है?
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि प्रशासन ने इस रैकेट की जांच के लिए कमर कस ली है। लेकिन सवाल वही है—क्या यह जांच सिर्फ कागजी होगी, या माफियाओं पर लगाम कसी जाएगी? क्या रेत के इस रंग-रंगीले खेल पर पर्दा डाला जाएगा, या फिर सरकारी इरादे रेत की तरह बह जाएंगे? जनता की नजर अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी है।