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केलो विहार जमीन फर्जीवाड़ा: कार्यवाही की उम्मीदें धूमिल होती नजर आ रही हैं

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रायगढ़।
भाजपा सरकार बनने के बाद रायगढ़ में हुए केलो विहार जमीन फर्जीवाड़े का मामला एक बार फिर चर्चा में है। कुछ महीने पहले इस घोटाले का खुलासा हुआ था, जिससे जनता को उम्मीद थी कि स्थानीय प्रशासन और विधायक इस मामले को गंभीरता से लेंगे और दोषियों को सजा दिलाएंगे। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद अब यह मामला ठंडा पड़ता नजर आ रहा है।

क्या है मामला?
रायगढ़ के छोटे अतरमुडा क्षेत्र में जमीन फर्जीवाड़ा सामने आया था, जिसमें फर्जी रजिस्ट्री और नामांतरण के आरोप लगे। इस फर्जीवाड़े में कुछ पटवारी और पूर्व तहसीलदार के नाम प्रमुखता से उछाले गए थे। हालांकि, अब तक इन पर किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख का दावा और हकीकत
भाजपा सरकार अक्सर यह दावा करती है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाएगी और दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन इस मामले में अधिकारियों की साठगांठ के बिना इस तरह का फर्जीवाड़ा संभव नहीं था। इसके बावजूद, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

राजनीतिक साजिश या मिलीभगत?
खबरों के अनुसार, इस घोटाले में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है। यही कारण है कि कोई भी नेता इस मुद्दे पर खुलकर सामने आने से बच रहा है।

कानूनी पहलुओं पर सवाल
यह मामला प्रथम व्यवहार न्यायालय रायगढ़ के वाद क्रमांक 66/अ/2002 से संबंधित है। इस वाद में आवेदक बहादुर सिंह का दावा खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद तहसीलदार ने 14 जून 2024 को छोटे अतरमुडा, खसरा नंबर 3 की जमीन बहादुर सिंह के नाम नामांतरण करने का आदेश दिया। यह आदेश सवाल खड़े करता है कि क्या यह निर्णय पूर्व में दिए गए न्यायालय के फैसले के खिलाफ है।

जनता की मांग
रायगढ़ की जनता अब इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है। लोगों का कहना है कि यदि सरकार और प्रशासन भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे, तो यह जनता के विश्वास को हिला सकता है।

अब देखना यह होगा कि सरकार और स्थानीय प्रशासन इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हैं या नहीं।

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TAKKAR NEWS/BIG BREAKING

रायगढ़ जिला मुख्यालय का अनोखा मामला.

10 फीट की गली को कैसे बिल्डरों ने कागजों में बता दिया 40 फीट चौड़ी सड़क.

और ले ली अपनी अपनी कालोनियों के निर्माण की विवादित अनुमति.

मामला स्वर्ण भूमि और साईं मंगलम कालोनी के अलावा कान्हा ग्रीन कालोनी का.

स्थानीय लोगों की माने तो राजस्व और नगर निवेश विभाग के अलावा नगर निगम प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों की फर्जी सहमति के आधार पर कालोनियों के निर्माण की दी गई अनुचित अनुमतियां.

निष्पक्ष जांच हुई तो जिम्मेदार अफसरों के अलावा तीनों कालोनियों के बिल्डर जाएंगे जेल

सूत्रों की माने तो स्थानीय लोग एक राय होकर दस्तावेज जमा करने में लगे है इसके बाद उच्च न्यायालय में दायर करेंगे याचिका.

कुछ बिल्डरों के अलावा निगम आयुक्त,sdm और तहसीलदार रायगढ़ के साथ हल्का पटवारी के खिलाफ पेश की जा सकती है रिट याचिका.

लोगों की माने तो कालोनियों में रहने वाले लोगों की दर्जनों चार पहिया वाहनों के कारण 10 फीट की सकरी इस गली में आए दिन लगता है जाम,बनी रहती है दुर्घटना की आशंका,,दोषी बिल्डर या फिर कौन..?

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