रायगढ़ में नवरात्रि की धूमधाम, गरबा की थाप और मां अम्बे की भक्ति में रंगा शहर!!

रायगढ़ में नवरात्रि की धूमधाम, गरबा की थाप और मां अम्बे की भक्ति में रंगा शहर
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रायगढ़@टक्कर न्यूज :- नवरात्रि का पावन पर्व रायगढ़ को भक्ति और उमंग के रंगों में रंग रहा है। शहर की गलियां मां अम्बे के जयकारों और गरबा की थिरकन से सराबोर हैं। हंडी चौक के पास सेवा कुंज, नटवर स्कूल, रामलीला मैदान और अन्य स्थानों पर गरबा समितियां 16 सितंबर से प्रैक्टिस में जुटी हैं। इस बार खास बात यह है कि 30 सितंबर को शुरू होने वाली भव्य गरबा प्रतियोगिता में 500 से 1’000 रुपये प्रति की एंट्री फीस भी ली जा रही है, जो आयोजन को और भव्य बनाने में सहायक होगी।
हर समिति में 300 से 500 प्रतिभागी जुट रहे हैं, जिनमें 80% महिलाएं और 20% पुरुष हैं। यह आंकड़ा महिलाओं की सशक्त भूमिका और गरबा की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। प्रैक्टिस की शुरुआत मां अम्बे की भावपूर्ण आरती से होती है। “जय अम्बे गौरी…” की धुन के साथ दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण माहौल को भक्तिमय बना देता है। सेवा कुंज में प्रैक्टिस करने आई कृतिका अग्रवाल ने कहा, “एंट्री फीस से हम बेहतर लाइटिंग, साउंड, बाउंसर और पुरस्कारों की व्यवस्था कर रहे हैं, लेकिन मां की भक्ति हमारा असली धन है।”
रामलीला मैदान में 500 से अधिक सदस्य पारंपरिक ‘फरालु’, ‘टिपली’ के साथ गुजराती फ्यूजन स्टेप्स पर थिरक रहे हैं। एक युवती ने कहा “फीस से गरबा को नया रंग मिला है। महिलाएं जोश से लबरेज हैं।” पुरुष प्रतिभागी राहुल कहते हैं, “डांडिया की ताल और फीस का अनुशासन हमें प्रतियोगिता के लिए तैयार कर रहा है।”
गरबा स्वास्थ्य के लिए भी वरदान है, जो प्रति घंटे 300-500 कैलोरी बर्न करता है और तनाव कम करता है। किसी में 25 सीखने वाले है तो किसी में 30, रायगढ़ की आदिवासी संस्कृति में गुजराती रंग का यह मेल सामाजिक एकता का प्रतीक है। 30 सितंबर को मां अम्बे की भव्य आरती के साथ शुरू होने वाली प्रतियोगिता में हजारों दर्शक जुटेंगे। विजेताओं को ट्रॉफी, नकद पुरस्कार और मां की मूर्ति भेंट की जाएगी। फीस ने आयोजन को व्यवस्थित किया है, लेकिन मां की भक्ति ही इस उत्सव की आत्मा है। रायगढ़ का यह गरबा उत्सव नवरात्रि को अविस्मरणीय बना रहा है। जय मां अम्बे!