अडानी की काली साजिश का भांडा फटा: फर्जी ग्रामसभा की पोल खुली, ग्रामीणों का गुस्सा ज्वालामुखी बना, प्रशासन की चुप्पी पर जनता ने ठोंकी ताल!

अडानी की साजिशों का भांडा फोड़ा: फर्जी ग्रामसभा की पोल खुली, ग्रामीणों का गुस्सा ज्वालामुखी बना, प्रशासन की खामोशी पर जनता ने ललकारा!!
कार्यवाही न होना!! यह रिश्ता क्या कहता है?
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रायगढ़@टक्कर न्यूज :- अडानी ग्रुप की काली करतूतों का कच्चा चिट्ठा अब रायगढ़ की जागरूक जनता ने फाड़कर रख दिया! महाजेनको कोल ब्लॉक पर कब्जे की साजिश में अडानी की एमडीओ कंपनी ने फर्जी ग्रामसभा का तमाशा रचकर कलेक्ट्रेट में खदान शुरू करने की हुंकार भरी। मगर, ग्रामीणों ने इस धोखे की चाल को न सिर्फ पकड़ा, बल्कि उसे चूर-चूर कर धूल में मिला दिया! बुधवार को मुड़ागांव में 12 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर महासभा बुलाई और अडानी की गुंडई का पर्दा फाड़ते हुए शासन से निष्पक्ष जांच की मांग ठोक दी। चेतावनी गूंज रही है—मांगें नहीं मानीं, तो सड़कों पर जनता का तूफान उठेगा, और अडानी की साजिशें राख में तब्दील हो जाएंगी!
कांड तब भड़का जब अडानी ने अपने पैसे के जोर पर खरीदे गए दलालों और तथाकथित ‘ग्रामीणों’ को ढाल बनाकर कलेक्ट्रेट में खदान की वकालत की। लेकिन असली ग्रामीणों ने इस नौटंकी को आड़े हाथों लिया। मुड़ागांव, सराईटोला, कुंजेमुरा, पाता, बांधापाली, चित्तवाही, रोडोपाली, खम्हरिया, मिलूपारा, गारे, कोसमपाली और बागबाड़ी के ग्रामीण, सरपंच, पंच और महिलाएं सभा में गरजे। उन्होंने कहा, “हमारी जल, जंगल, जमीन पर अडानी की नजर गड़ाने की हिम्मत अब बर्दाश्त नहीं! फर्जी ग्रामसभा का ढोंग रचकर हमारी आवाज दबाने की साजिश को हम खून से धो डालेंगे!”
ग्रामीणों ने खुलासा किया कि तमनार थाने, एसपी और कलेक्टर के पास बार-बार शिकायतें दी गईं, मगर प्रशासन की गूंगी-बहरी चुप्पी ने आग में घी डाला। कलेक्टर ने तो पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ये उनके दायरे से बाहर है। एक ग्रामीण नेता ने तल्ख लहजे में कहा, “क्या प्रशासन अडानी का पिठ्ठू बन गया? अगर यही हाल रहा, तो सड़कों पर उतरकर हम जवाब मांगेंगे!” ग्रामीण महिला राधा बाई ने गुस्से में ललकारा, “पत्रकारों पर हमले और फर्जीवाड़े का ये खेल अब बंद हो! पत्रकार हमारी आवाज हैं, उन्हें कुचलने की साजिश बेकार है!”
पत्रकारों पर हालिया हमलों ने ग्रामीणों का खून और खौला दिया। ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि अडानी की गुंडागर्दी और प्रशासन की चुप्पी अब हद पार कर चुकी है। अगर शासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो रायगढ़ की सड़कें अडानी के खिलाफ जंग का मैदान बन जाएंगी। सवाल गूंज रहा है—क्या अडानी की दबंगई का भांडा फटेगा, या ग्रामीणों और पत्रकारों की आवाज फिर कुचली जाएगी? रायगढ़ की हर गली में ये आग अब ज्वालामुखी बन चुकी है, और जनता का गुस्सा उफान पर है!



