रायगढ़ में दहेज की आग में जलता एक नया रिश्ता, नवविवाहिता की पुकार पर पति-सास के खिलाफ FIR.. पढ़े पूरी खबर!!


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रायगढ़@टक्कर न्यूज :- सपनों की दुनिया में कदम रखने वाली एक 27 वर्षीय नवविवाहिता के लिए विवाह का बंधन वह सुखद शुरुआत नहीं बन सका, जिसका वादा सात फेरों और मंगलसूत्र की डोर के साथ किया गया था। रायगढ़ के कोतवाली थाना क्षेत्र की इस युवती ने अपने पति और सास पर दहेज के लिए अमानवीय प्रताड़ना, मारपीट और मानसिक यातना देने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। उसकी शिकायत पर पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएस) की धारा 85 और 3(5) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी को उजागर करती है, बल्कि समाज में गहरे जड़ जमाए दहेज प्रथा के घिनौने चेहरे को भी सामने लाती है।विवाह का आलम और दहेज की भेंट: पीड़िता ने अपने आवेदन में बताया कि उसका विवाह 13 जुलाई 2024 को ओडिशा के बलांगीर जिले के एक व्यक्ति के साथ भठली के एक प्रतिष्ठित होटल में बड़े धूमधाम से हुआ था। उसके माता-पिता ने अपनी बेटी के नए जीवन को सुखमय बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। सोने के आभूषण—कान की बालियां, अंगूठियां, नथ, चांदी के सिक्के—से लेकर पति के लिए सोने की चेन और अंगूठी, घरेलू सामान जैसे पलंग, सोफा, एयर कंडीशनर, ड्रेसिंग टेबल, डाइनिंग टेबल और एक मोटरसाइकिल खरीदने के लिए पांच लाख रुपये नकद तक दिए गए। यह सारी संपत्ति एक बेटी के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद में दी गई थी, लेकिन यह दहेज के लालचियों की भूख को शांत करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।लालच की आग और प्रताड़ना की कहानी: शादी के कुछ ही दिनों बाद पति का असली चेहरा सामने आया। दिल्ली में एक अपार्टमेंट में नौकरी करने वाले पति ने छोटी-छोटी बातों को बहाना बनाकर ताने मारने शुरू किए। “तुम कम दहेज लाई हो,” कहकर उसे गाली-गलौज और मानसिक यातना का शिकार बनाया गया। पीड़िता का कहना है कि पति ने ससुराल से मिले पांच लाख रुपये से घर में कोई सुविधा नहीं जुटाई। अक्टूबर 2024 में धनतेरस के दिन, जब उसने अपने सोने के गहने मांगे, तो सास ने चौंकाने वाला जवाब दिया कि गहने गिरवी रख दिए गए हैं। इस बात का विरोध करने पर सास और पति ने मिलकर उसे मारपीट और अपमान का शिकार बनाया। यही नहीं, पति और सास ने उससे दस लाख रुपये नकद और एक कार की मांग की। मांग पूरी न होने पर पति ने उसे अक्टूबर 2024 में रायगढ़ के मायके में छोड़ दिया और साफ कह दिया कि जब तक दस लाख रुपये नहीं मिलेंगे, वह उसे ससुराल नहीं ले जाएगा। पीड़िता ने अपने माता-पिता, भाई और एक परिचित को इस उत्पीड़न की जानकारी दी, लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते गए।सामाजिक बैठकों और परामर्श का विफल प्रयास: मामले को सुलझाने के लिए पीड़िता के पिता ने भठली में एक सामाजिक बैठक बुलाई, जिसमें उसके माता-पिता, मामा और अन्य लोग शामिल थे। लेकिन पति और सास ने दस लाख रुपये की मांग पर अड़े रहकर सुलह की हर कोशिश को नाकाम कर दिया। इसके बाद पीड़िता ने रायगढ़ के महिला थाने में शिकायत दर्ज की। परिवार परामर्श केंद्र में कई बार नोटिस भेजे गए, लेकिन पति और सास ने इसमें हिस्सा लेने से परहेज किया। मई 2025 में हुई एक बैठक में पति, ससुर और सास शामिल तो हुए, लेकिन परामर्श केंद्र के सुझावों—जैसे आपसी सुलह या स्त्रीधन की वापसी—को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया। स्त्रीधन, जिसमें सोने के गहने, घरेलू सामान और पांच लाख रुपये शामिल थे, आज तक वापस नहीं किया गया। पुलिस की कार्रवाई और समाज का सवाल: महिला थाने ने पीड़िता की शिकायत को गंभीरता से लिया और प्रथम दृष्टया अपराध पाए जाने पर प्राथमिकी दर्ज की। थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। यह मामला समाज में दहेज जैसी कुप्रथा की जड़ों को फिर से उजागर करता है। एक बेटी, जिसके माता-पिता ने उसे सुखी जीवन देने के लिए अपनी जमा-पूंजी लगा दी, आज उसी दहेज के कारण अपमान और यातना का सामना कर रही है। स्थानीय लोग इस घटना से आक्रोशित हैं और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए। यह मामला न केवल एक परिवार की पीड़ा को दर्शाता है, बल्कि समाज से यह सवाल भी पूछता है कि आखिर कब तक बेटियों को दहेज के नाम पर यूं ही कुचला जाता रहेगा? क्या कानून और सामाजिक जागरूकता इस कुप्रथा को जड़ से खत्म कर पाएंगे?
(नोट: पीड़िता की गोपनीयता बनाए रखने के लिए उसका नाम और पता गुप्त रखा गया है।)