रायगढ़

कोसमनारा ज़मीन घोटाला: रायगढ़ में आस्था की धरती पर लुटेरों का तमाशा! पढ़े पूरी खबर..!!

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रायगढ़@टक्कर न्यूज :- सत्यनारायण बाबाधाम की पवित्र कोसमनारा, जहां भक्ति की भजन-कीर्तन की गूंज हर दिल को सुकून देती है, अब जमीन माफियाओं का अड्डा बन गई है! खसरा नंबर 77/2 के आसपास रचा जा रहा है एक मसालेदार घोटाला, जिसमें पटवारी की चालबाजी, दलालों की धोखेबाजी, और रसूखदारों की दबंगई ने मिलकर ऐसा रायता फैलाया है कि जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर है। तो चलिए, इस घोटाले की चटपटी स्क्रिप्ट को और हटके अंदाज में खोलते हैं!घोटाले का मसाला: खसरा 77/2 की मिर्ची: ये कहानी शुरू होती है एक शासकीय ज़मीन से, जो पहले किसी शख्स को आबंटित थी, फिर ट्रस्ट को सौंप दी गई। बदले में हाइवे से सटी खसरा 77/2 की ज़मीन उसी शख्स के नाम चढ़ा दी गई। कानून की किताब कहती है—इसे बेचने का कोई हक नहीं! मगर, दलालों ने पटवारी के साथ मिलकर इस पवित्र ज़मीन को निजी बताकर रजिस्ट्री का तगड़ा तड़का लगाने की ठान ली। इस ड्रामे का डायरेक्टर? हल्का नंबर 8 का पटवारी मनहरन देवांगन!पटवारी का जादू, रिकॉर्ड में जालसाजी: पटवारी ने अपनी कलम को जादू की छड़ी बनाकर रिकॉर्ड से “शासकीय” शब्द को ही गायब कर दिया! सूत्रों की मानें तो ये चालबाजी ज़मीन को निजी दिखाने का मास्टरप्लान है। रजिस्ट्री की फाइल तैयार, मोटी डील का स्क्रिप्ट फाइनल, और खबर है कि जल्द ही सौदा पक्का होने वाला है। ये तो वही बात हुई—पटवारी ने रिकॉर्ड में रंग भरा, और जनता को चूना लगाने का खेल शुरू!दलालों का धमाल: लाखों की ठगी, धमकियों का डोजजमीन दलाल कैलाश सोनी, यादव, अमित और उनकी टोली ने पटवारी के साथ मिलकर ये काला कारनामा अंजाम दिया। इन चालबाजों ने कई लोगों से लाखों रुपये एडवांस के नाम पर ठग लिए। इतना ही नहीं, पीड़ित किसानों को धमकियां भी दी जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि पटवारी को 8-10 लाख रुपये कमीशन का लालच दिया गया, जिसमें से 2 लाख रुपये की “एडवांस स्क्रिप्ट” भी चुकाई जा चुकी है।रसूखदारों का रंगीला रोलइस घोटाले में एक रसूखदार: “बड़े साहब” का नाम उछल रहा है, जिसकी पकड़ कलेक्टर ऑफिस तक बताई जा रही है। ज़मीन पहले ही बंधक रखी जा चुकी है, और अब रजिस्ट्री का आखिरी सीन शूट होने वाला है। ये शख्स इतना दबंग कि प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर अपनी मर्जी चला रहा है। सवाल ये—क्या प्रशासन इस “सुपरस्टार” के सामने घुटने टेकेगा?जनता का जोश, प्रशासन का झोल: कोसमनारा की जनता, जहां ज़मीन और आस्था का रिश्ता दिल से दिल तक है, अब तमतमा रही है। लोग सड़कों पर उतरने को तैयार हैं और चिल्ला-चिल्लाकर पूछ रहे हैं:- पटवारी की इस चालबाजी पर एक्शन कब? तबादले का पुराना ड्रामा फिर चलेगा?- क्या प्रशासन इस पवित्र ज़मीन को लुटने से बचा पाएगा, या एक और घोटाले का “क्लाइमेक्स” तैयार है?- कलेक्टर साहब, आंखें कब खुलेंगी? जनता का सब्र अब जवाब दे रहा है!रायगढ़ का रीमिक्स: पुराना घोटाला, नया सीजनये कोई नया ड्रामा नहीं! रायगढ़ में सरस्वती राइस मिल केस में व्यावसायिक ज़मीन को कृषि भूमि दिखाकर सस्ते में बेचने की कोशिश पकड़ी गई थी। कोरबा में 250 एकड़ शासकीय ज़मीन घोटाले में पटवारी निलंबित हुआ, तो बिलासपुर में खसरा 77/4 के साथ भी ऐसा ही फर्जीवाड़ा सामने आया। कोसमनारा में अब वही कहानी, नया ट्विस्ट!जनता का अल्टीमेटम: अबकी बार, इंसाफ की पुकारकोसमनारा की जनता ने प्रशासन को खुली चुनौती दी है:1. खसरा 77/2 के रिकॉर्ड की तुरंत जांच।2. पटवारी मनहरन और दलालों पर सख्त एक्शन।3. रजिस्ट्री पर फुल स्टॉप, ज़मीन को लुटने से रोकें।4. जनता को हर कदम की खुली जानकारी।पीड़ित किसान अब कोतरा रोड थाने में FIR दर्ज करने की तैयारी में हैं। अगर प्रशासन ने टालमटोल की, तो कोसमनारा की सड़कों पर आंदोलन का “ब्लॉकबस्टर शो” शुरू होगा!कोसमनारा की पुकार: आस्था बचाओ, इंसाफ लाओ!ये सिर्फ ज़मीन का मसला नहीं, बल्कि कोसमनारा की आस्था और विश्वास का सवाल है। क्या रायगढ़ प्रशासन इस घोटाले का “पटाक्षेप” करेगा, या रसूखदारों का रंगीला खेल जीतेगा? जनता की नज़रें टिकी हैं, और गुस्सा उबाल मार रहा है। गेंद अब प्रशासन के पाले में—देखें, क्या होता है इस घोटाले का “ग्रैंड फिनाले”!कोसमनारा की आवाज: न ज़मीन लुटेगी, न आस्था टूटेगी!

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