रायगढ़

शासकीय भूमि को निजी बताकर बेचने वाले पटवारी, जमीन मालिक और विक्रेता पर कब होगा एफआईआर दर्ज!!

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जमीन मालिक उजितराम ने कहा मुझे नहीं है जमीन की जानकारी

प्रथम दृष्टिया जांच में शिकायत सही पटवारी निलंबित।

रायगढ़@टक्कर न्यूज :- रायमेर के समस्त ग्रामवासियों द्वारा धरमजयगढ़ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, रायगढ़ कलेक्टर से लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तक को राकेश साय पटवारी हल्का नंबर 08 तहसील कापु के द्वारा ग्राम रायमेर के शासकीय जमीन का फर्जी पट्टा बनाकर दलालों के द्वारा फर्जी रजिस्ट्री करने को लेकर शिकायत किया गया था जिसके बाद अनुविभागीय अधिकारी धरमजयगढ़ द्वारा पत्र क्रमांक /504/अ. वि. अ./ वा.-2/2025 धरमजयगढ़ दिनांक 27/02/2025 को नायब तहसीलदार धरमजयगढ़ को मामला की गंभीरता को देखते हुए जांच प्रतिवेदन मांगा गया। वही रायगढ़ कलेक्टर द्वारा भी पत्र क्रमांक /4156/शि.शा./2025 रायगढ़ दिनांक 26/05/2025 को भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को भी पत्र जारी कर जांच रिपोर्ट मांगी गई थी जिसका जांच कापु तहसीलदार द्वारा कर धरमजयगढ़ अनुविभाग अधिकारी राजस्व को दे दिया गया था। दोनों जांच रिपोर्ट अवलोकन में उनके द्वारा शासकीय कार्य के प्रति घोर लापरवाही प्रतीत होना प्रथम दृष्टिया पाया गया जिसपर धरमजयगढ़ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रवीण कुमार भगत द्वारा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत होने के फलस्वरूप पटवारी राकेश साय को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 9 के तहत तत्काल प्रभाव निलंबन कर वही निलंबन अवधि में निलंबित पटवारी का मुख्यालय तहसील कार्यालय धरमजयगढ़ नियत किया गया।बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि आम मुख्तारनामा बनाकर बेचा, विक्रेता को जमीन की जानकारी ही नहीं..

मिसल रिकॉर्ड 1930 में खसरा नंबर 467 रकबा 89.46 एकड़ बड़े झाड़ का जंगल मद में दर्ज है।इसके पश्चात अधिकार अभिलेख में खसरा नंबर 467 के टुकड़े होकर कुछ लोगों का नाम पट्टेदार के रूप में दर्ज है। संशोधन पंजी 1957-63 और खसरा पंचशाला 1988-92-93 में 467 के टुकड़ों में विभिन्न मद व शासकीय पट्टेदारों का नाम दर्ज है, परन्तु खसरा नंबर 467/23, 467/25, 467/36 में रकबा व किसी मद या पट्टेधारी या भूमि स्वामी का नाम दर्ज नहीं है। खसरा पंचशाला 2021-22 से 2025-26 में भी खसरा नंबर 467/23, 467/25, 467/36 का कोई उल्लेख नहीं है। परंतु पंजीकृत विक्रय विलेख के अनुसार खसरा नंबर 467/23, 467/25, 467/36 भूमि विक्रेता उजितराम पिता नान्हीराम की ओर से विक्रय आम मुख्तारनामा कैलाश कुमार जेठवानी पिता पशु राम जेठवानी निवासी धरमजयगढ़ द्वारा मधुसूदन अग्रवाल पिता शंभूनारायण अग्रवाल निवासी पत्थलगांव को विक्रय किया गया।

विक्रेता उजितराम का कहना मै नहीं जानता मुख्तियारग्रहित कैलाश जेठवानी को….

दिनांक 13/06/2025 को रायमेर के ग्रामवासियों के समक्ष स्थल पंचनामा तैयार किया गया जिसमें उजितराम पिता नान्हीराम ने बताया कि खसरा नंबर 467/23, 467/25, 467/36 उनकी भूमि नहीं थी, किन्ही ने गलत तरीके से उनका नाम दर्ज किया है। उजितराम द्वारा यह भी बताया गया कि वे मुख्तियारग्रहिता कैलाश जेठवानी को नहीं जनता।

आखिर कब होगी भ्रष्टाचार को अंजाम देने वालों पर प्रशासनिक कार्यवाही…. बड़ा सवाल….?

एक तरफ बड़े झाड़ का जंगल अचानक से रायमेर निवासी उजितराम के नाम दर्ज हो जाता है जिसकी जानकारी विक्रेता उजितराम तक को नहीं, वही विक्रेता उजितराम का कहना की मै मुख्तियारग्रहिता कैलाश जेठवानी को नहीं जानता वही दूसरी तरफ पटवारी राकेश साय द्वारा जमीन खरीदी बिक्री के संबंध में जांच प्रतिवेदन भी अपलोड किया जिसमें उनके द्वारा लिखा गया कि अधिकार अभिलेख 1954-55 में खसरा नंबर 467/23, 467/25, 467/36 भूमिस्वामी हक में दर्ज है वही उक्त भूमि शासकीय मद में दर्ज नहीं है साथ यह भी लेख किया गया कि भूमि विक्रय के पूर्व छत्तीसगढ़ भू.- राजस्व संहिता की धारा 165 के अधीन विक्रय हेतु अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

इन सभी पहलुओं की जांच के बाद भी सिर्फ पटवारी पर निलंबन की कार्यवाही कर कही जिम्मेदार मामले को ठंडे बस्ते में डालने की फिराक में तो नहीं है। क्योंकि अबतक जमीन मालिक और ना ही मुख्तियारग्रहिता कैलाश जेठवानी पर कोई भी प्रशासनिक कार्यवाही की गई।

रोशन खेस (शिकायतकर्ता ग्रामीण) :- शासकीय मद की भूमि को अवैध रूप से फर्जी दस्तावेज बनाया गया है, उजितराम को जमीन मालिक बनाया गया उसे जमीन का जानकारी ही नहीं है, वही मुख्तियारग्रहिता कैलाश जेठवानी को भी उजितराम नहीं जानता फिर भी मामला के जांच के बाद सिर्फ पटवारी राकेश साय को निलंबित किया गया जबकि उसके साथ साथ कैलाश जेठवानी, उजितराम और इसमें संलिप्त लोगों के विरुद्ध फर्जीवाड़ा का अपराध पंजीबद्ध कर जेल दाखिल करना चाहिए। आखिर मामले को कही ना कही दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

उक्त मामले की जानकारी के लिए धरमजयगढ़ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रवीण कुमार भगत को वाट्सअप मेसेज और फोन के माध्यम से संपर्क करना चाहा तो उनके द्वारा शायद व्यस्त होने की वजह से फोन रिसीव और मैसेज का जवाब नहीं दिया गया।

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