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दरिया पंथ के संत जगदीश साहेब ने ली समाधि

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के ग्राम सेखवा के पतेराटोला में
ग्रामीण एवं सैकड़ो भक्तों ने महात्मा जगदीश साहेब को दी अंतिम विदाई

दरिया आश्रम दंगसी जिला गोपालगंज बिहार से संबद्ध संत थे जगदीश बाबा

दरिया पंथ के प्रसिद्ध महात्मा जगदीश साहेब ने 85 वर्ष की उम्र में समाधि ले ली है। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के ग्राम सेखवा के पतेराटोला में 24 अप्रैल की देर शाम  ग्रामीणों एवं सैकड़ो भक्तों ने जगदीश बाबा को दी अंतिम विदाई दी।

बाल ब्रह्मचारी जगदीश बाबा का जन्म आदिवासी अंचल गौरेला पेंड्रा मरवाही के ग्राम कोलबिरा में गोंड़ आदिवासी किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही वह आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे यही कारण रहा कि वे 15 वर्ष की उम्र में ही मानस तीर्थ सोनकुंड सोनमूंड़ा आश्रम पेंड्रा से जुड़ गए थे। उन्होंने सोन कुंड आश्रम के संस्थापक स्वामी सहज प्रकाशानंद के शिष्य स्वामी निर्मलानंद से गुरु दीक्षा ली तथा सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में जुट गए।

इस बीच वे स्वामी सदानंद जी महाराज के सानिध्य में लंबे समय तक रहे। कुछ वर्षों के बाद जगदीश बाबा देशाटन एवं तीर्थाटन के लिए निकल गए तथा भ्रमण करते हुए गोपालगंज बिहार पहुंचे तथा वहां स्थित दरिया आश्रम के संपर्क में आऐ तथा दरिया पंथ की नीति से प्रभावित हुए। वहां रहते हुए उन्होंने दरिया दंगसी आश्रम के महात्मा चंद्र देव साहेब से गुरु दीक्षा लेकर दरिया आश्रम में ही सेवा कार्य में जुट गए जहां उन्होंने लगभग 50 वर्ष तक अपना सेवा कार्य दिया।

जगदीश बाबा वहा जगदीश साहेब के नाम से जाने जाते रहे। वह किसी से भी मिलते तो उनके मुखार बिंदु से जय सतनाम, साहेब बंदगी का घोष होता।इस बीच उनके सैकड़ो भक्त एवं अनुयाई तैयार हो गए। दरिया आश्रम में लंबा समय व्यतीत होते-होते जगदीश बाबा को जन्म भूमि वापस बुलाने लगी और वर्ष 2011-12 के आसपास जगदीश बाबा अपनी जन्मभूमि क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही वापस आ गए तथा सकोला -कोटमी स्थित सोन नदी के तट पर स्थित बूढा़ देव मंदिर में स्थित कुटिया में रहकर तप करते हुए अपना समय बिताया।

इस बीच जगदीश बाबा श्री दुर्गा मंदिर धनपुर एवं आसपास के तीर्थ स्थलों में आते जाते रहे। कुछ समय वे ग्राम  पथर्रा स्थित चिल्ला डोंगरी में भी रहे। इधर धीरे-धीरे जगदीश बाबा को बुढ़ापा भी घेर रहा था इसलिए जगदीश बाबा बीते कुछ वर्षों से अपने शिष्य ग्राम ग्राम सेखवा में पतेरा टोला के खुल्लू बाबा के घर में ही रह रहे थे। कुछ महीने से बाबा की तबीयत भी खराब थी। 23 अप्रैल को दोपहर लगभग 12:00 बजे जगदीश बाबा ने आंखें बंद कर ली।

जगदीश बाबा के समाधिस्थ हो जाने की सूचना मिलने पर ग्रामीण ग्रामीण सेखवा मैं इकट्ठे होने लगे थे। देर शाम जगदीश बाबा को विधि विधान से सेखवा के सरपंच इतवार सिंह,श्री आदिशक्ति मां दुर्गा देवी मंदिर पब्लिक ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य एवं आदिवासी नेता भगवत सिंह मार्को, आदिवासी नेता पीतांबर सिंह मार्को, ट्रस्ट के कार्यकारी संचालक एवं जनसंपर्क अधिकारीअक्षय नामदेव, 

आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता मानसिंह  गौटिया, गोविंद सिंह गौटिया, लवकेश द्विवेदी,खुल्लू बाबा, छोटू बाबा, कृष्ण यादव बिहार, भिखारी लाल सलाम, राम प्रसाद आयाम, रमेश सिंह सलाम, शंकर लाल सारथी, प्रदीप सिंह, संतु सिंह सहित सैकड़ो ग्रामीणों एवं अनुयायियों ने उपस्थित रहकर महात्मा जगदीश साहेब को अंतिम विदाई दी।

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