नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी के बयान पर कांग्रेस प्रत्याशी मेनका सिंह ने अप्रत्याशित सहमति जताई है
रायगढ़। उन्होंने कहा कि 1976 में गांधी में मेडिकल कॉलेज भोपाल से, MBBS पास कर इस क्षेत्र की पहली महिला डॉक्टर बनने के बाद, उन्होंने किसी बड़े शहर के अस्पताल की नौकरी नही की। नर्सिंग होम नही खोला। इस पेशे से एक पैसा नही कमाया।
बल्कि झोला लेकर सारंगढ़ के जंगली इलाको में आदिवासियों के इलाज में जीवन गुजारा है। कोढ़, फाइलेरिया, टीबी, घेंघा और दूसरी बीमारियों पर उनके काम को दुनिया भर में सराहा गया है।
और पिछले 40 साल हजारों आदिवासियों, और दलितों की जिंदगियां बचाने में उनका मुफ्त दवाइयों से भरा झोला ही मददगार रहा है। शायद इस बात से पूनम वाकिफ हो गयी हैं।
ज्ञात हो कि भाजपा नेत्री पूनम सोलंकी ने उन्हें झोला छाप डॉक्टर कहा था। डॉक्टर मेनका ने कहा कि पूनम अभी युवा है, और दूसरे आम युवाओं की तरह भारतीय जनता पार्टी की झोला छाप राजनीति से परेशान है।
केंद्र की झोला छाप एंटायर इकॉनमिक्स ने देश पर ढाई सौ लाख करोड़ का कर्ज चढ़ा दिया है। बेरोजगारी और महंगाई से जनता त्राहि त्राहि कर रही है। इडी- सीबीआई को वसूली गैंग बनाने वाली मोदी सरकार का झोला उठवाना अब तय कर लिया गया है।
मेनका सिंह ने कहा कि रायगढ़ जिले को ऐसा सांसद चाहिए, जो रायगढ़ के मुद्दे, सन्सद में जाकर कहे। न कि दिल्ली की भाजपा का एजेंडा रायगढ़ में आकर चलाये। रायगढ़ की जनता की आवाज है कि उसे अब एक पढा लिखा, समझ बूझ वाला प्रतिनिधि चाहिए।
इस बात की भनक लगते ही एक जीते हुए हुए सांसद को रणक्षेत्र से भगाकर, अब एक नया प्रत्याशी लाई है। लेकिन रायगढ़ के जनता को एक रबर स्टाम्प की जगह, दूसरे रबर स्टाम्प को स्वीकार नही करेगी।
मेनका ने कहा कि लोगो का आक्रोश चरम पर है, और लोकसभा के इस चुनाव परिणाम के साथ, रायगढ़ जिले से भाजपा का झोला उठने की शुरुआत हो जाएगी।
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