नामांकन दाखिले के अंतिम दिन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ यह तय हो चुका है कि लोकसभा चुनाव में एक बार फिर बस्तर की 2 प्रमुख राजनैतिक पार्टियों के प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा।
चुनावी रण न केवल दिलचस्प रहेगा, बल्कि बहुत कुछ नया भी घटेगा। इसका इशारा राजनैतिक दल के लोग और प्रत्याशी दे रहे हैं।
राहुल गांधी की 5 गारंटी के साथ कांग्रेसी मैदान में कूदे हैं। बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता और कोंटा सीट से अपराजेय रहे कवासी लखमा की लोकप्रियता पर भी कांग्रेसियों को पूरा यकीन है। वे कह रहे हैं कि एक बार फिर बस्तर की जनता कांग्रेस का साथ देगी और उनके प्रत्याशी को जिताकर संसद तक भेजेगी ताकि बस्तर की आवाज बुलंद तरीके से उठाई जा सके।
नक्सल थ्रेट पर बोलने से भी कांग्रेसी नहीं चूक रहे हैं और सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
दीपक बैज, पीसीसी चीफ
राज्य में 5 साल के कमजोर कार्यकाल और भ्रष्टाचार को भाजपा मुद्दा बना रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की गारंटी और विष्णुदेव साय सरकार के इंप्लीमेंटेशन को भाजपा ने मुद्दा बनाया है। इसके अलावा समय-समय पर धर्मांतरण का मसला भी भाजपाई उठा रहे हैं। आदिवासियों की संस्कृति नष्ट करने का पूरा दोष कांग्रेस पर डालने की कोशिशें हो रही हैं।
ऐसे मुद्दों पर कांग्रेस को घेरने की तैयारी भाजपा ने कर रखी है।
इसी बलबूते राज्य की सभी 11 लोकसभा सीटों पर जीत के दावे किए जा रहे हैं।
किरण देव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
कहीं जुबान फिसल रही है तो कहीं हाथों से नोट। गलतियां लपकने के लिए जैसे नेता-कार्यकर्ता तैयार बैठे हैं। विकास के एजेंडे पर भाजपा चुनावी मैदान में कूदी है तो कांग्रेस मोदी की गारंटी के फेल हो जाने को मुद्दा बना रही है। खुद की 5 गारंटी पर भी कांग्रेसियों को पूरा यकीन है। मतदाता तराजू के 2 पलड़ों में प्रत्याशियों को तौल रहा है।
19 अप्रैल को वोटिंग हो जाने के बाद यह तय हो जाएगा कि बस्तर का प्रतिनिधित्व अगले 5 सालों तक संसद में कौन करेगा।
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