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सवा सौ करोड़ ज्ञान पर ध्यान के लिए ईएलसीडी फार्मूला के विश्लेषण पर जीपीएम जिला की बेटी को केन्द्रीय विवि से पीएचडी अवार्ड

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जीपीएम जिला। विकसित भारत के स्तंभ ‘ज्ञान’ जी फॉर गरीब, वाई फॉर युवा, ए फॉर अन्नदाता, एन फॉर नारीशक्ति पर ध्यान कर ईएलसीडी एंटरप्रेन्योरशिप (उद्यमिता), लोकल (स्वदेशी), कोऑपरेशन (सहकारिता),  डिसेंट्रलाइजेशन (विकेंद्रीकरण) फार्मूला के विश्लेषण एवं स्व के जागरण से सवा सौ करोड़ भारतीयों को सक्षम, आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से शोध किया गया है। राष्ट्रीय महत्व के विषय पर शोध के लिए जीपीएम जिला की बेटी ऋतु बंसल ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में कंप्यूटर साइंस विषय में पीएचडी का पंजीयन कराया था तथा कंप्यूटर विज्ञान संकाय के डीन आचार्य (डॉ.) विकास सिंह के मार्गदर्शन में अपना शोध कार्य पूरा किया है। सफलतापूर्वक शोध कार्य पूरा करने पर विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान विषय में शोध उपाधि पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई है।
*बेरोजगारी – गरीबी मुक्त तथा विश्व की सबसे बड़ी इकोनॉमी का विकसित भारत*
शोध पर जानकारी देते हुए डॉ. ऋतु बंसल ने बताया कि अमृत काल के दौरान विकसित भारत का लक्ष्य आर्थिक विकास, सतत विकास लक्ष्य, जीवनयापन में आसानी, व्यापार करने में आसानी, बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण से जुड़ा हुआ है तथा 2047 तक भारत को बेरोजगारी मुक्त, शून्य गरीबी रेखा तथा 40 ट्रिलियन डॉलर की विश्व की सबसे बड़ी इकोनॉमी खड़ा करने के लिए सवा सौ करोड़ ज्ञान को सक्षम और समृद्ध बनाना होगा। कुटुंब प्रबोधन और नागरिक शिष्टाचार को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी उत्पाद हेतु स्थानीय संसाधन का पर्यावरण हितैषी के रूप में उपयोग एवं सामजिक समरसता को ध्यान में रखने सहकारिता के भाव के साथ सक्षम बनाने पर शोध किया गया है।  विकसित भारत का अर्थ रामराज के संदर्भ की व्याख्या अतीत से आधुनिकता तक की गई है जिसमें भारत का प्रत्येक परिवार में स्व का जागरण के साथ सक्षम बनाये जाने पर फोकस किया गया है।
*सहकारिता आधारित 5 करोड़ एमएसएमई से 37 करोड़ रोजगार सृजन हो सकेगा*
डॉ ऋतु बंसल ने आगे बताया कि स्थानीय संसाधन पर विज्ञान सार्वभौमिक लेकिन प्रौद्योगिकी स्थानीय अप्लाई करके सहकारिता आधारित 5 करोड़ माइक्रो स्मॉल और मीडियम साइज के आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग वाले उद्यमिता के माध्यम से क्लास बी और क्लास सी कैटेगरी के अनेक उत्पादों का इंपोर्ट बड़े पैमाने पर कम करने तथा एक्सपोर्ट को बढ़ावा हेतु कई सेक्टर सम्मिलित हैं जिसमें वनौषधि- आयुष एपीआई स्टार्टअप, 64-कलाओं आधारित सांस्कृतिक स्टार्टअप, सोलह सिंगार स्टार्टअप, हर्बल ब्यूटी – डेकोरेटिव प्रोडक्ट्स फैशन एसेसरीज, 108 जड़ी-बूटी आधारित हर्बल प्रोडक्ट्स, मोटाअनाज आधारित 1008 भारतीय व्यंजनों का रेडी टू ईट उद्यमिता, 108 भारतीय मसाला स्टार्टअप, जनजातीय उधमिता, हथकरघा-बुटीक, हस्तशिल्प, गोबर उत्पाद, पूजन सामग्री, फूड प्रोसेसिंग, भारतीय शिल्प, अलाइड डेयरी, मिलेट बेकरी, महुआ, जैव उर्वरक, घरेलू / दैनिक उपयोग की वस्तुओं का स्टार्टअप, चमरा – फुटवियर, बायोप्लास्टिक, स्पोर्ट्स आइटम स्टार्टअप्स, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स, सेमीकंडक्टर, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक स्टार्टअप,  नेचुरोपैथी एक्यूप्रेशर स्टार्टअप, संगीत एवं मनोरंजन उपकरण, 3डी प्रिंटिंग, ग्रीन हाइड्रोजन स्टार्टअप, सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिकल वाहन, रेन वाटर स्टार्टअप, अन्न-उर्जा दाता, सहित अभिरुचि के अनुसार अनेक नवाचार हेतु ईएलसीडी फार्मूला विश्लेषित किया गया है। जिसमें कंपनी का पंजीयन / उद्योग आधार, पीपीआर / डीपीआर बनाने, ईपीसी की तकनीकी जानकारी, प्लांट एवं मशीनरी की व्यवहार्यता विश्लेषण, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की योजनाओं का समन्वय, वित्तीय व्यवस्था, भारतीय तथा अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी लाइसेंस लेने की प्रक्रिया, मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन /ऑफलाइन कंपनी से टाई-अप कराना तथा एक्सपोर्ट लाइसेंस सहित कई पहलुओं को सम्मिलित किया गया है जिससे 37 करोड़ युवा रोजगारयुक्त हो जायेंगे।
डॉ. ऋतु बंसल ने अपने पीएचडी शोध में विशेष मार्गदर्शन के लिए शोध निदेशक एवं डीन आचार्य (डॉ.) विकास सिंह, विभाग अध्यक्ष डॉ नीरज राठौर, डॉ सुदेश कुमार, डॉ सुहैल अहमद, डॉ नारायण, डॉ. मनीष तारम, शोध विद्वान चिन्मय पांडे, ऋतुराज सोंधिया, बैजनाथ राम तथा पिता- ईश्वर चंद बंसल, माता –रेखा बंसल, पति- अमित सराफ, बेटी- अविका सराफ, भाई- ऋषभ बंसल, बहन- रुचिका बंसल, दादी सास – गीता देवी सराफ, ससुर – अशोक सराफ, सास – शीला सराफ के सहयोग को एकनॉलेज किया है।

प्रेषक
*डॉ ऋतु बंसल*
पिता- ईश्वर चंद बंसल
रेस्ट हाउस रोड, गौरेला
मोबाइल – 9406215343

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